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5 May 2022 · 1 min read

फिर कभी तुम्हें मैं चाहकर देखूंगा.............

फिर कभी तुम्हें मैं चाहकर देखूंगा , गलियों में तेरी मैं कभी आ कर देखूंगा।

अभी बोझ जिम्मेदारियों का बहुत है मुझपर , फिर कभी तुमसे दिल लगाकर देखूंगा।

एक अरसा हो गया तुम रूठे हो मुझसे , आज फिर मैं तुमको मना कर देखूंगा।

तेरी हर चीज़ मुझे तेरी याद दिलाती है , तोहफ़े तेरे सारे तुझे मैं लौटाकर देखूंगा।

इंतज़ार तो तेरा मुझे बरसों से है , मगर पलके मैं आज फिर बिछाकर देखूंगा।

आंखें भारी हो गई हैं फिर मेरी आज , फिर मैं आंसू आज बहाकर देखूंगा।

आज फिर इस दिल को समझा कर देखूंगा, तेरी यादों को फिर भुला कर देखूंगा।

फिर कभी तुम्हें मैं चाहकर देखूंगा , गलियों में तेरी मैं कभी आ कर देखूंगा।
– नसीब सभ्रवाल “अक्की” ,
गांव -बांध,
तहसील-इसराना,
पानीपत,हरियाणा-132107.

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