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22 Dec 2021 · 1 min read

लगाया करती हैं

वो चुप हैं.. उनकी ख़ामोशी
कुछ बात बताया करती है।
कुछ मीठा, कुछ तीखा-सा,
इल्जाम लगाया करती है।

हम उनसे दूर हुए कब थे,
वो मेरे पास हुए कब थे
बदला-बदला-सा मौसम ये
अहसास कराया करती है!

अंदर कुछ टूटा-फूटा-सा,
कोई है खुद से रूठा-सा,
ये टीस नमी इन आंखों में
जाने क्यों लाया करती है!

सारी नफ़रत,सारा गुस्सा,
हंसते-हंसते भी पी लेते हैं,
लेकिन ये खामोशी, सचमुच
दिल को चुभ जाया करती है!

©अभिषेक पाण्डेय अभि

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