Posts Poetry Writing Challenge-2 210 authors · 4349 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 28 Next surenderpal vaidya 17 Feb 2024 · 1 min read * जिन्दगी की राह * ** गीतिका ** ~~ जिन्दगी की राह में होती मधुर अनुभूतियाँ। खिलखिलाते स्नेह की चढ़ते सहज हम सीढियाँ। चुन लिया करते सहज ही लोग अक्सर देखिए। जब कभी दिखती उन्हें... Poetry Writing Challenge-2 · गीतिका · छंद गीतिका 1 1 133 Share संजय कुमार संजू 17 Feb 2024 · 1 min read कैसे गाएँ गीत मल्हार सुन्दर मन, सुन्दर तन है सुन्दर है इसका रचनाकार। अहंकार, अभिमान का रंग चढ़ा क्यों? जो बिलखती धरा, विचलित होता संसार। अब बदल चुका मानव का व्यवहार अब, कैसे गाएँ... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 127 Share संजय कुमार संजू 17 Feb 2024 · 1 min read तब गाँव हमे अपनाता है आयु छोटी थी किंतु- घर का बड़ा था मैं । फुटे थे भाग्य माथे के छुटा था साया बाप का सिर से। इसलिए छोटी आयु में ही यह सोच के... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 144 Share संजय कुमार संजू 17 Feb 2024 · 1 min read युवा शक्ति युवा देश का गौरव होता युवा देश का भविष्य। युवा राष्ट्र का निर्माण करता युवा राष्ट्र का निर्णय ।। कैसी आन पड़ी आज देश के युवा पर समस्या। उलझ पड़ा... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 116 Share संजय कुमार संजू 17 Feb 2024 · 1 min read बचपन किस्सा *बचपन* का मुझे याद आता आज भी *बचपन* की याद दिलाता। लाया था मेरे लिए जब नया जूता खुश बहुत था मैं पाकर वह जूता। वह नया लाया था... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 118 Share संजय कुमार संजू 17 Feb 2024 · 1 min read संबंधो में अपनापन हो खंडित सा लग रहा है संसार ये अस्त-व्यस्त जीव-जगयापन वो अपने लगे नीचा दिखाने अपनो को कैसे कहें सम्बधो में अपनापन हो। देख एक-दुसरे को भाता नही यहाँ किसी का... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 143 Share संजय कुमार संजू 17 Feb 2024 · 1 min read चलते रहना ही जीवन है। कर्म पथ पर आज क्यों? तू थक रहा ' जन' है। कर्मभूमि यह! समझ इसे, गांठ बाँध दें मन में। कहती धरा ,कहता अंबर चलते रहना ही जीवन है ।१।... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 164 Share संजय कुमार संजू 17 Feb 2024 · 1 min read संवाद होना चाहिए बढ़ रही असहिष्णुता आज समाज में क्षीण होती उदारता की भावना समाज में ।१। बढ़ रहा संवाद अब, संवादहीनता की ओर मानस भी बढ़ रहा भिन्नता की ओर।२। है अनेक... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 151 Share Roopali Sharma 17 Feb 2024 · 1 min read तो क्या हुआ... !? तो क्या हुआ...!? यूँ तो बेटियों के नाम किये हैँ कई हथियार, महज़ किताबों मे हैँ तो क्या हुआ ! यूँ तो रोज़ निकल पड़ते हैँ मोमबत्तियां हाथों मे लिए,... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 55 Share संजय कुमार संजू 17 Feb 2024 · 1 min read सुरभित - मुखरित पर्यावरण करता प्रभावित जीवंत, जग-जीवन रचना प्राकृतिक, अनुपम महान जैविक , अजैविक तत्व , तथ्य घटना , प्रक्रिया समुच्चय विज्ञान। आकर्षक सुसज्जित "आवरण" सुरभित -मुखरित पर्यावरण।। संगीत मधुर सुनाती पवन नदियाँ... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 179 Share संजय कुमार संजू 17 Feb 2024 · 1 min read *माँ शारदे वन्दना हे माँ शारदे। हे माँ शारदे। वीणा वादिनी माँ वर दे। मन-मस्तिष्क शून्य पड़ा माँ ज्ञान गंगा की गागर भर दे। श्वेतवर्णी माँ शारदे। वन्दना करुँ माँ, वर दे। स्वर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 201 Share संजय कुमार संजू 17 Feb 2024 · 1 min read हार हमने नहीं मानी है मैं श्रमिक जब निकला थककर जिस दिन घर द्वार से अपने थे मेरे भी कुछ अदृश्य सपने उठाकर गठरी, दुख की लेकर चाह दूजे सी न थी, सुख देखकर हृदय... Poetry Writing Challenge-2 · 25 कविताएं · Best Poem · कविता 129 Share Rajesh Kumar Kaurav 17 Feb 2024 · 1 min read राम दर्शन राम दर्शन प्राण प्रतिष्ठा हो गई,पौष में दिवाली भई, खत्म हुआ इंतज़ार, दर्शन तो कीजिए । शुक्ल पक्ष की द्वादशी,संवत नाम है अस्सी, सिंहासन बैठें राम,दर्शन तो कीजिए । राम... Poetry Writing Challenge-2 133 Share संजय कुमार संजू 17 Feb 2024 · 1 min read मौन हूँ, अनभिज्ञ नही *मौन हूँ, अनभिज्ञ नही* पीड़ा, जगत विरह की सहज व अदृश्य नही।१। रचयिता इसका फिर भी मौन है, अनभिज्ञ नही।२। रचना 'मानस' प्रकृति की श्रेष्ठ है, कुत्सित नही।३। मानस सब... Poetry Writing Challenge-2 · 25 कविताएं · कविता 152 Share संजय कुमार संजू 17 Feb 2024 · 1 min read श्रम साधक को विश्राम नहीं श्रम साधक को विश्राम नहीं खूब, देखी इसकी साधकी।। श्रम का फल मीठा होए साधक, श्रम से इसे बोए। साधना में इसकी विराम नहीं श्रम साधक को विश्राम नहीं ।।... Poetry Writing Challenge-2 · 25 कविताएं · Best Poem · कविता 169 Share Rajesh Kumar Kaurav 17 Feb 2024 · 1 min read आजादी /कृपाण घनाक्षरी आजादी /कृपाण घनाक्षरी भारत अब आजाद ,धन जन से आबाद, करलो वो दिन याद ,सत्ता विदेशियों हाथ । सपूतों का बलिदान, किये न्योछावर प्रान, करें सबका सम्मान ,अमर वीरों के... Poetry Writing Challenge-2 42 Share सुरेन्द्र शर्मा 'शिव' 17 Feb 2024 · 1 min read *आपदा से सहमा आदमी* चंद दिनों की सुर्खियां नहीं बनना चाहता हूं मैं किसी पहाड़ के मलवे में नहीं दबना चाहता हूं मैं हरगिज़ ये नहीं चाहता आपदा की भेंट चढ़ जाऊँ मैं फिर... Poetry Writing Challenge-2 · Best Poetry · Poetry · कविता · ग़ज़ल 1 111 Share सुरेन्द्र शर्मा 'शिव' 17 Feb 2024 · 1 min read *तेरा इंतज़ार* जानता हूँ बुरा मान जाओगे तुम तुम्हारा दिल और दुखाना नहीं चाहता हूँ माफ़ करना कोई गलती हो गई हो अब मैं तुमसे कुछ कहना नहीं चाहता हूँ तुम क्या... Poetry Writing Challenge-2 · Best Poetry · Poetry · कविता · ग़ज़ल 122 Share Anil Mishra Prahari 17 Feb 2024 · 1 min read करूँ प्रकट आभार। करूँ प्रकट आभार। नूतन-किसलय, पुष्प-मनोरम कलियों के मुख लाली, केसर, परिमल,पवन-झकोरे रची लचीली डाली। भ्रमरों का गुंजार करूँ प्रकट आभार। झरनों में आता पर्वत से छनकर निर्मल पानी, भूतल ने... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 166 Share सुरेन्द्र शर्मा 'शिव' 17 Feb 2024 · 1 min read *अब तो चले आना* सावन भी बरस गया मैं भी तरस गया तू अब तो चले आना अब इंतज़ार बहुत हो गया आंखों के आंसू भी अब सूख गए जाने तुम क्यों इस कदर... Poetry Writing Challenge-2 · Hindi · Poetry · कविता · ग़ज़ल 135 Share सुरेन्द्र शर्मा 'शिव' 17 Feb 2024 · 1 min read *इश्क़ न हो किसी को* मैं तो कहता हूँ कि ये इश्क़ न हो किसी को ये कहानियों में अच्छा लगता है कभी हो न ये किसी को गर हो गया ये इश्क़ तो उम्रभर... Poetry Writing Challenge-2 · Poetry · कविता · ग़ज़ल 2 1 1k Share Rajesh Kumar Kaurav 17 Feb 2024 · 1 min read ऊँ ऊँ ऊँ शब्द एक मंत्र है,ध्वनि सृष्टी जग मूल । जड़ चेतन में व्याप्त है, उत्पत्ती निर्मूल ।। यही ब्रह्म आभास है,ऊँ ब्रह्म हरि नाम।। ऊर्जा शक्ति पुंज सदा, प्राण... Poetry Writing Challenge-2 168 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 17 Feb 2024 · 1 min read स्वयंभू वह कहते हैं– मैं प्रचारक, बुद्धिमानी किसी से कम नहीं हूं, दूसरों की बात क्यों मानूं, स्वयंभू किसी की बात कभी मानी है < उसके, ढोल की लय, ताल भी... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 133 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 17 Feb 2024 · 1 min read तेरी मधुर यादें तेरी मधुर यादें तेरे संग बीती जो मीठी मीठी यादें है मेरे काव्यसंग्रह के वो नवगीत बन गये काल के कपाल पर गीत नये गाते हुए कंठहार बन मेरे सुर... Poetry Writing Challenge-2 135 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 17 Feb 2024 · 1 min read नम आँखे सुहानी शाम कितनी हो भरा हो प्रेम अंतस में , बिना तेरे लगे फीका नहीं मन लागे उपवन में । कहा बेशक था हमने कि बड़े शिद्दत से चाहा था,... Poetry Writing Challenge-2 165 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read जेब में कितने दुखी हो उठते हैं हम जब करते हैं कमेन्ट सोशल मीडिया की किसी दुःखभरी पोस्ट पर. जाग उठती है मानवीयता, छलक उठता है दर्द, किसी के दर्द के प्रति.... Poetry Writing Challenge-2 101 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read आइए जलते हैं आइए जलते हैं दीपक की तरह। आइए जलते हैं अगरबत्ती-धूप की तरह। आइए जलते हैं धूप में तपती धरती की तरह। आइए जलते हैं सूरज सरीखे तारों की तरह। आइए... Poetry Writing Challenge-2 126 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read ये मछलियां ! मछलियां अक्सर ज़िन्दा रह जाती हैं अपने गिल्स फड़फड़ाते, छिपा जाती है लिंब। स्त्री भी ज़िंदा रह जाती है पलकें फड़फड़ाती अपने श्वसन तंत्र में। धरती को ही तो देख... Poetry Writing Challenge-2 68 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read चीखें अपने मौन की एक सूने हस्पताल से मकान में कुछ रूहे ढूंढ रही हैं अपनी ही लाश। साधती हैं चीखें अपने मौन की उड़ते पन्नों में हैं अलिखित काश। कुछ दरिंदों के शिकार... Poetry Writing Challenge-2 132 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read सड़कों पे डूबते कागज़ मेरी जिंदगी पे गुज़रती सड़कें भिगो के खुदको सुनाती हैं कितनी ही कहानियां। जिनमें जीती गयीं हैं वो। हाँ! लेकिन कबाड़ी के खाली डिब्बे सी हँसती हैं मुझ पर क्योंकि... Poetry Writing Challenge-2 83 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read अप्रेम इक किताब है लिखवानी अप्रेम पर। लिखोगे तुम? रहे सनद कि, अनुभव अप्रेम का ज़रूरी है। सोच लो एक बार फिर! पैदा हुए तुम, तो अगले ही क्षण तुम्हें मिला... Poetry Writing Challenge-2 163 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read नई बातें सुना है औरत ने बनते वक्त मांगे थे और पा लिए ममता, प्रेम, पालन और विकास सरीखे गुण। आदमी ने बचे-खुचे ले लिए। और औरत बन गई श्रद्धा। … सुना... Poetry Writing Challenge-2 152 Share इंजी. संजय श्रीवास्तव 17 Feb 2024 · 1 min read देने वाले प्रभु श्री राम देने वाले इस दुनिया में एक अपने प्रभु श्री राम हैं हम तुम क्या हैं इस दुनिया में उनकी ही संतानें हैं देने वाले इस दुनिया में एक अपने प्रभु... Poetry Writing Challenge-2 75 Share Anil Mishra Prahari 17 Feb 2024 · 1 min read पूस की रात। पूस की रात। थरथरा रहा बदन जमा हुआ लगे सदन, नींद भी उचट गयी रात बैठ कट गयी। ठंड का आघात पूस की रात। हवा भी सर्द है बही लगे... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 207 Share Anil Mishra Prahari 17 Feb 2024 · 1 min read वसंत की बहार। वसंत की बहार। डूबी धरित्री रंग में उमंग अंग-अंग में, सुरम्य हर दिशा अपूर्व रूप,यह सिंगार। वसंत की बहार। हरित बदन का चीर है चमन-चमन अधीर है, अमंद झूमते सुमन... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 137 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read ज़िंदा ब्रश कुछ चित्र बहुत खूबसूरती से उकेर दिए, उस चित्रकार ने। महकाती मिट्टी, जो चीर रहीं थी नदियों की धाराओं को। उसने उकेरे पेड़ों पे चहचहाते पंछी, जो लहरा रहे थे... Poetry Writing Challenge-2 79 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read सेल्फिश ब्लॉक काश! कर पाते खुद को ब्लॉक खुद की गलतियों पे। वैसे तो कर के गलतियां समझना खुदा खुदको खुदको ब्लॉक करने से कम तो नहीं। हाँ! प्रायश्चित वो आग है... Poetry Writing Challenge-2 80 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read मेरा समय पृथ्वी की धुरी के इशारों पर यूं तो नाचता है समय. विस्मृत क्षण हो गए धूमिल कई दिनों से गुम था समय... कितने ही वर्षों से ढूंढता पूछता था जिससे... Poetry Writing Challenge-2 100 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read माँ मेरी मृत्यु नहीं हुई थी, इसलिए बिछड़ी नहीं हमेशा के लिए। उसने मुझे रहने को दे दिया बड़ा सा वृद्धाश्रम कई लोगों के साथ में कई सालों के लिए घर... Poetry Writing Challenge-2 133 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read बेटी मैं न लिख पाया उसके बारे में कभी सोचता ही रहा कि आज कुछ लिखूंगा। उसको निहारता हूँ कोरे केनवास में तो कभी पढता हूँ उस पे लिखी बिना शब्दों... Poetry Writing Challenge-2 62 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read बस यूं ही बस यूं ही एक पिता अपने बच्चों की तस्वीर ले के बहल जाता है। बस यूं ही एक पिता उनकी गलती पे डांट के खुद नहीं रोता। बस यूं ही... Poetry Writing Challenge-2 66 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 17 Feb 2024 · 1 min read गरीबों की जिंदगी कभी नमक, कभी कपड़े, दवा भी लेनी है, त्योहार की तैयारी चल रही होती है, बेटी की विदाई भी आ जाती है, उन्हें उपहार मे साड़ी, धोती और कुर्ता देने... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 150 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read स्त्री अपने सपनों में से अपनों के सपनों को बीन-बीन कर निकालती है। स्त्री कुछ ऐसी ही रची गयी जिन पे छत टिकी, उन दीवारों को संभालती है। कहाँ गिने हैं... Poetry Writing Challenge-2 71 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 2 min read समय आता है समय होता है, जब हमें सोशल मीडिया पर 'गुड मॉर्निंग' के मेसेज चिढ़ा जाते हैं। समय आता है, जब वे मेसेज ही होते हैं, जो चेहरे पे मुस्कान लाते हैं।... Poetry Writing Challenge-2 72 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read ना जाने क्यों? ना जाने क्यों? धरती का अक्ष मेरे घर को कुछ डिग्री झुका देता है। ना जाने क्यों? मेरे हिस्से का चाँद किसी और की छत से दिखाई देता है। ना... Poetry Writing Challenge-2 43 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read प्रेम प्रेम रह जाता है अप्रेम जब तय करनी होती है परिमित दूरी और पाना होता है अपरिमित प्रेम। प्रेम हो जाता है क्षीण जब वो अस्थिर पृथ्वी के दो ध्रुवों... Poetry Writing Challenge-2 64 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read बड़भागिनी मैं खुशकिस्मत थी। इस पंक्ति के बाद के पूर्ण विराम को निहारती। हाँ! मैं खुशकिस्मत थी। खूबसूरत से बिछौने पे सोती, बादलों सी सुगंधित, लैंप की चाँदनी में टिमटिमाती, कहीं... Poetry Writing Challenge-2 126 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read काश! लिख पाता मैं भी कोई कविता। कह लेता इक कागज़ से कुछ भाव भरे शब्द, उड़ेंल देता कम से कम आँसू की एक बूंद तो। गीले कागज़ को चार तहों... Poetry Writing Challenge-2 152 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read कहाँ लिख पाया! कह लेता हूँ मैं अंकगणित अपनी बहुत सी कविताओं में। कहाँ कह पाया मगर वह केमिस्ट्री, जिसकी इक्वेशन्स भी कह सकती है कि - दो और दो मिलकर हमेशा पांच... Poetry Writing Challenge-2 62 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read नफरत दीवारें नफरत के घरोंदों की अक्सर बनी होती हैं उन शब्दों की ईंटों से जो पकने से पहले ही गिर जाती हैं किसी की उम्मीदों के बहते पानी में। उछलती... Poetry Writing Challenge-2 58 Share Previous Page 28 Next