Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Feb 2023 · 3 min read

*26 फरवरी 1943 का वैवाहिक निमंत्रण-पत्र: कन्या पक्ष :चंदौसी/

26 फरवरी 1943 का वैवाहिक निमंत्रण-पत्र: कन्या पक्ष :चंदौसी/ वर पक्ष: मुरादाबाद
—————————————————————
हमारे सबसे बड़े मामा जी श्री राजेंद्र कुमार जी के विवाह के अवसर पर कन्या पक्ष द्वारा प्रकाशित निमंत्रण-पत्र देखकर बहुत सुखद आश्चर्य हुआ। 26 फरवरी 1943 ईस्वी के विवाह संस्कार का यह निमंत्रण-पत्र मेरे सामने है । ऐतिहासिक दस्तावेज के नाते यह बहुमूल्य है। शायद यही वह समय रहा होगा, जब प्रिंटिंग प्रेस सामान्यतः खुलना शुरू हुई होंगी । अतः 1943 का छपा हुआ निमंत्रण पत्र बहुत प्रारंभिक मुद्रित वैवाहिक निमंत्रण पत्रों में गिना जाएगा ।

कई बातें इस निमंत्रण पत्र से स्पष्ट हो रही हैं । सर्वप्रथम तो वैवाहिक निमंत्रण पत्र की सादगी ही मन को मोह लेती है। काफी दशकों बाद इस प्रकार के छोटे-छोटे आकार के निमंत्रण पत्र सगाई के अवश्य चलते थे। लेकिन अब तो विवाह के लिए ऐसे सीधे-साधे निमंत्रण पत्र प्रकाशित करने की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
निमंत्रण पत्र का आरंभ श्रीहरि: लिखकर हो रहा है । यह परिपाटी आज भी प्रचलन में है ।
टेलीफोन नंबर अब दस अंकों तक आ चुके हैं । ऐसे में मात्र एक अंक की संख्या वाला टेलीफोन किसी आश्चर्य से कम नहीं जान पड़ता । टेलीफोन नंबर पॉंच लिखा है।
कन्या के पिता के नाम के साथ भी चिरंजीव लिखा गया है । अब शायद ही किसी कन्या के पिता के नाम के पहले चिरंजीव लिखा जाता है । कारण यह रहा होगा कि उस समय कम आयु में बच्चों की शादियॉं हो जाती थीं, अतः दादा-दादी के सामने तो दूल्हा और दुल्हन भी छोटे होते थे तथा आयु की दृष्टि से दूल्हा-दुल्हन के माता-पिता भी छोटे ही रहे होंगे।
कन्या चंद्रकांता अर्थात हमारी मामी जी के नाम के आगे आयुष्मति नहीं लिखा है । या तो लिखने से रह गया या यह रिवाज बाद में शुरू हुआ ।
एक मुख्य बात विक्रम संवत के अनुसार फागुन माह का उल्लेख पहले हुआ है तथा ईस्वी सन् के अनुसार 26 फरवरी 1943 बाद में अंकित है। इसका अर्थ यह है कि 1943 में विक्रम संवत खूब प्रचलन में था। हालॉंकि ईसवी सन् उस समय तक रोजमर्रा के व्यवहार में शामिल हो चुका था । इसीलिए तो बारात की आगमनी, बढ़हार तथा विदाई केवल ईसवी सन् के महीने और तिथियों में ही अंकित हैं।
आजकल बारात का आगमन लिखा जाता है, उस समय बारात की आगमनी लिखी गई । बढ़हार अब प्रचलन से बाहर हो चुका शब्द है । “बढ़हार” का पारिभाषिक अर्थ विवाह के उपरांत दिया जाने वाला भोज है। अतः ऐसा प्रतीत होता है कि विवाह के अवसर पर एक दिन बाद तक प्रीतिभोज का सिलसिला बारात की खातिरदारी के लिए चलता रहता था। विदायगी के स्थान पर अब विदाई शब्द प्रचलित है । इसका अर्थ विवाह के उपरांत कन्या की विदाई से है।
मुख्य बात यह भी है कि विवाह का कार्यक्रम तीन दिन का लिखा गया है। यद्यपि समय लिखा न होने के कारण यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि बरात की “विदायगी” प्रातः काल ही हो गई अथवा दोपहर बाद हुई है। “आगमनी” का समय भी अंकित नहीं है ।लेकिन फिर भी तीन दिन की बारातें 1943 में होती थीं, इतना तो पता चल ही रहा है ।
बाल गोपाल सहित पधारने का निवेदन अब निमंत्रण पत्रों में प्रयोग में नहीं आता । यद्यपि “बाल गोपाल” शब्द बच्चों के लिए खूब प्रयोग में उस समय भी आते थे और अभी भी आ रहे हैं ।
फर्म के नाम को विशेष महत्व 1943 में दिया जाता था। रिश्तेदारों के नामों की भीड़ निमंत्रण-पत्र में नहीं दिखती। निमंत्रण देने वाले व्यक्ति के स्थान पर दर्शनाभिलाषी लछमन दास सहतूमल (दि चंदौसी आयल मिल्स, चंदौसी) लिखा हुआ है। इससे पता चलता है कि फर्म के नाम से अग्रवाल समाज में लोग विशेष रूप से जाने जाते थे। वर पक्ष के परिचय के लिए भी फर्म का नाम लाला राम किशन दास भगवत सरन जी सर्राफ अंकित किया गया है । उस जमाने में (और आज भी) फर्म का नाम पिता के नाम के साथ बड़े पुत्र के नाम को जोड़कर रखा जाता था। दूल्हे के पिता का नाम श्री राधे लाल तथा ताऊ जी का नाम श्री भगवत सरन है। इसी तरह कन्या पक्ष में कन्या के पिताजी श्री राम कुमार के बाबा का नाम लछमन दास तथा पिता का नाम सहतूमल को आधार बनाकर फर्म का नामकरण देखने को मिल रहा है।
कुल मिलाकर 1943 के विवाह के निमंत्रण पत्र को पढ़कर बहुत अच्छा लगा । यह निमंत्रण पत्र पारिवारिक व्हाट्सएप समूह में इन पंक्तियों के लेखक के मामा जी डॉ. राकेश कुमार, मुरादाबाद द्वारा उपलब्ध कराया गया है।
————————————
लेखक : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
1715 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

बैठाया था जब अपने आंचल में उसने।
बैठाया था जब अपने आंचल में उसने।
Phool gufran
ख्याल तुम्हारा आता है जब रात ये आधी लगती है*
ख्याल तुम्हारा आता है जब रात ये आधी लगती है*
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
पढ़ो और पढ़ाओ
पढ़ो और पढ़ाओ
VINOD CHAUHAN
2811. *पूर्णिका*
2811. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
" वाकया "
Dr. Kishan tandon kranti
प्रकृति की पुकार
प्रकृति की पुकार
AMRESH KUMAR VERMA
सफर और हमसफ़र जिंदगी होते हैं।
सफर और हमसफ़र जिंदगी होते हैं।
Neeraj Kumar Agarwal
قیمتیں گھٹ رہی ہیں انساں کی
قیمتیں گھٹ رہی ہیں انساں کی
Dr fauzia Naseem shad
*ताबीज बना रक्षक*(कहानी)
*ताबीज बना रक्षक*(कहानी)
Dushyant Kumar
वातायन के खोलती,
वातायन के खोलती,
sushil sarna
यायावर
यायावर
Satish Srijan
आँखों में मुहब्बत दिखाई देती है
आँखों में मुहब्बत दिखाई देती है
डी. के. निवातिया
मैं भी कवि
मैं भी कवि
DR ARUN KUMAR SHASTRI
24, *ईक्सवी- सदी*
24, *ईक्सवी- सदी*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
सत्य की खोज
सत्य की खोज
SHAMA PARVEEN
जब तुम
जब तुम
Dr.Priya Soni Khare
🙅याद रखना🙅
🙅याद रखना🙅
*प्रणय प्रभात*
वंचित कंधा वर्चस्वित कंधा / मुसाफिर बैठा
वंचित कंधा वर्चस्वित कंधा / मुसाफिर बैठा
Dr MusafiR BaithA
"शिवमय सब हो जाए"
Madhu Gupta "अपराजिता"
वज़्न -- 2122 2122 212 अर्कान - फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन बह्र का नाम - बह्रे रमल मुसद्दस महज़ूफ़
वज़्न -- 2122 2122 212 अर्कान - फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन बह्र का नाम - बह्रे रमल मुसद्दस महज़ूफ़
Neelam Sharma
हमारे जख्मों पे जाया न कर।
हमारे जख्मों पे जाया न कर।
Manoj Mahato
पगड़ी सम्मान
पगड़ी सम्मान
Sonu sugandh
“गुरु और शिष्य”
“गुरु और शिष्य”
DrLakshman Jha Parimal
जीते जी मुर्दे होते है वो लोग जो बीते पुराने शोक में जीते है
जीते जी मुर्दे होते है वो लोग जो बीते पुराने शोक में जीते है
Rj Anand Prajapati
चौपाई छंद - बुद्धि
चौपाई छंद - बुद्धि
Sudhir srivastava
7.2.25   :: 1212  1122  1212  112
7.2.25 :: 1212 1122 1212 112
sushil yadav
#रंग (व्यंग्य वाण)
#रंग (व्यंग्य वाण)
Rajesh Kumar Kaurav
ऐसे ही थोड़ी किसी का नाम हुआ होगा।
ऐसे ही थोड़ी किसी का नाम हुआ होगा।
Praveen Bhardwaj
बादलों से बिछड़ कर बूंदे भी रोई होगी
बादलों से बिछड़ कर बूंदे भी रोई होगी
Rekha khichi
अब मुझे जाने दे
अब मुझे जाने दे
Jyoti Roshni
Loading...