मैं ढूंढता हूं रातो - दिन कोई बशर मिले।
छछूंदर के सिर पर चमेली का तेल।
Vishnu Prasad 'panchotiya'
नशा त्याग दो
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
नेताओं सा हो गया उनका भी किरदार
परों को खोल कर अपने उड़ो ऊँचा ज़माने में!
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
ना किसी से दुआ सलाम ना किसी से बंदगी ।
फूल कभी भी बेजुबाॅ॑ नहीं होते
खिड़कियाँ -- कुछ खुलीं हैं अब भी - कुछ बरसों से बंद हैं
*सियासत हो गई अब सिर्फ, कारोबार की बातें (हिंदी गजल/गीतिका)*
दिल की हरकते दिल ही जाने,
सात रंगों से सजी संवरी हैं ये ज़िंदगी,
सैनिक का खत– एक गहरी संवेदना।