मात्रा भार – उच्चारण आधार पर(मात्रिक छंदो में )

मात्रा भार – उच्चारण आधार पर(मात्रिक छंदो में )
मात्रा भार सदैव उच्चारण पर निर्भर करता है। सर्वमान्य पुस्तक प्राचीन पुस्तक “छन्दप्रभाकर” – ( लेखक जगन्नाथ प्रसाद भानु जी का स्पष्ट मत है |
स्तुति= इस् तुति–4
स्मृति =इस् मृति 4
स्नेह=इस् नेह 5
स्थान =अस् थान 5
,स्नान =अस् नान ,5
स्कूल= इस् कूल = 5
👉 केवल य,र, ल,व के पूर्व जब स् आता है तब उसका बलाघात नहीं पड़ता है
जैसे- स्वयं 12 स्वस्थ 12
इसमें पहले स् का बलाघात शून्य है और न ही इनके उच्चारण के लिए अस् इस् की आवश्यकता है।
मात्रा भार उच्चारण और बलाघात पर ही निर्भर करता है।
क्योंकि छंदो में लय उपरोक्त गणना से ही आ सकती है
मेरा आप यह एक दोहा देखें
जैसे – बच्चे बस्ता लादकर , चले गये स्कूल |
बोझा ढ़ोना अब रहा , रहे बात हम भूल ||
उपरोक्त दोहे के , दूसरे चरण में स्कूल पाँच मात्रा का भार लेकर ही लय दे रहा है , यदि हम इसे तीन मानकर , दो मात्रा और जोड़ते है
तब दोहा बनता है
बच्चे बस्ता लादकर , चले गये है स्कूल |
बोझा ढ़ोना अब रहा , रहे बात हम भूल ||
(चले गये है स्कूल ) या ( चले गये अब स्कूल ) करते है , तब आप खुद गुनगुनाकर देख लीजिए उपरोक्त दोनों दोहों में लय किसमें है
अब यदि कोई मित्र , स्कूल को तीन मात्रा में गिनकर , लय लाता है , तब हम उनका अभिनंदन करते है
अब आप मेरा दूसरा दोहा देंखें
स्कूलों की भीड़ में , गायब वह स्कूल |
स्तुति से हमको मिले , जहाँ ज्ञान के फूल ||
(उपरोक्त दोहे के तीन चरणों में आघा स् – इस् का उचारण कर रहा है )
मै खुद ज्ञानी होने का भ्रम नहीं पालता हूँ , पर जो कुछ आता है , आपके समझ सउदाहरण रखता हूँ , मानना या न मानना आपके विवेक के ऊपर है
आये दिन फेसबुक पटलों पर कई शब्दों के मात्रा भार पर तर्क वितर्क , कुतर्क में बदलते देखे है | पिंगल शास्त्र तो हमने भी नहीं पढ़ा , पर जिन आचार्यों ने पढ़ा व व्याखित सउदाहरण किया , हम उनको शिरोधार्य करते है
पहले मैं भी त्रुटि देखकर , तर्क वितर्क में उलझ जाता था | पर अब उम्र के पड़ाव में इन सबसे अपने को दूर कर लिया है ,
आप उपरोक्त शब्दों में कितनी मात्रा मानकर लिख रहे है , वह ही आम पाठक की तरह हम भी मान्य कर आपके भाव को नमन करते है ,
सही / गलत ,आप क्या सीख रहे है , यह आप सभी के अपने विवेक पर है
सादर
आलेख – सुभाष सिंघई
स्मृति मात्रा चार है , पाँच गिने स्कूल |
संस्कार में छै लगें , चार संस्कृति मूल ||
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उच्चारण के आधार पर , दोहों में मात्रा भार
आप गुन गुना कर स्वंय तय करें , व लय देखें
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जहाँ बुढ़ापा देखते , लगती स्मृति है क्षीड़ |
या
जहाँ बुढ़ापा देखते , लगती स्मृति क्षीड़ |
कौन चरण सही है ?
जहाँ बुढ़ापा देखते , लगती स्मृति क्षीड़ | √स्मृति में 4 भार
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पूजा जाकर सब करें , जहाँ देव का स्थान |
या
पूजा जाकर सब करें , जहाँ देव स्थान |
कौन चरण सही है ?
पूजा जाकर सब करें , जहाँ देव स्थान |√ स्थान में 5 भार है
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हाथ जोड़कर आज में , करता स्तुति अब ईश |?
या
हाथ जोड़कर आज में, करता स्तुति ईश | ?
कौन चरण सही है ?
हाथ जोड़कर आज में, करता स्तुति ईश | ? √ स्तुति में 4 भार है
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है प्रयाग में कुंभ शुभ , करो आप सब स्नान |?
या
है प्रयाग में कुंभ शुभ करो आप स्नान | ?
कौन चरण में लय है ?
है प्रयाग में कुंभ शुभ करो आप स्नान | ? √स्नान में 5 भार है
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बुंदेली है यह पटल , सभी रखें अब स्नेह |?
या
बुंदेली है यह पटल , सभी रखें स्नेह |?√ स्नेह में 5 भार है
कौन चरण में लय है ?
बुंदेली है यह पटल , सभी रखें स्नेह |?√ स्नेह में 5 भार है
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यह मात्रा भार , उच्चारण आधार पर मात्रिक छंदों में है , पर वाचिक छंदों में यह भार लागू नहीं होते है
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एक प्रश्न मेरे पास आया था
संस्कार में मात्रा भार पाँच नियमानुसार गणना में आती है क्योंकि
संस्कृत में स्पष्ट नियम है की संयुक्त के पूर्व का दीर्घ होगा , अब क्योंकि सम में दो दो मात्राएं हैं तो फिर एक बटे दो 1/2 मात्रा नहीं बढ़नी चाहिए |
तब मैने प्रत्युत्तर दिया –
पाँच मात्रा नियम से आती है , ठीक है | मैं भी सहमत |
अब आप दोहा के सम चरण में लय लाइए , संस्कार में पाँच मात्रा है , तब दोहे का कोई चरण पंचकल से प्रारंभ से तो प्रारंभ होता नहीं है , पर दोहे में ” गाल ” वाले पंचकल से तो पदांत हो सकता है – जैसे
आज धरा पर है नहीं ,कोई भी महिपाल |
न्याय नीति की राह चल , दूर करे जंजाल ||
(लय है)
अब संस्कार को पंचकल मानकर दूसरे और तीसरे चरण में प्रयोग कर रहे है 👇 , अब आप देखें कि क्या लय है ? 🙏
आज प्रफुल्लित हैं नहीं , कोई भी संस्कार |
चले संस्कार मार्ग पर , और करें उपचार ||
(क्या लय है ? ) क्या आप (सन् स् कार )सही उच्चारण लय के साथ कर पा रहे है , या संस्कार उच्चारण करते समय , शब्द चबाकर लय दे रहे है या संस्कार की जगह सस्कार उच्चारण कर रहे है
ल़य लेकर उच्चारण प्रयोग करें | 🙏
अब संस्कार शब्द को पाँच मात्रा मानकर दोहे के मध्य में लाते है 👇
मिले हमें संस्कार है , रखो संस्कार पास |
बात यहाँ संस्कार की , रहें संस्कार खास||
अब क्या दोहा 👆लय में है , 🙏🤔
अब संस्कार को षटकल मानकर प्रयोग करता हूँ 👇
संस्कार मिलते हमें , संस्कार रख पास |
संस्कार देते सदा , जग में सदा उजास ||
यह तथ्य भी कहीं हमनें पढ़ा था , पर ठीक से याद नहीं है कि कहाँ पढ़ा था कि कुछ शब्द ऐसे है कि संस्कृत के नियम व उच्चारण मात्रा भार व हिंदी के प्रयोग उच्चारण मात्रा भार में एक मात्रा का अंतर आ जाता है , जिसमें संस्कार शब्द भी है
अब कैसा क्या है , ज्ञानी जाने , जितना जानते , वह निवेदित है वैसे कोई भी पाँच माने या छै: , पर दोहा लय में रहना चाहिए , इतना जानता हूँ |
हिंदी के कई विद्वान व आचार्य भी हिंदी के कुछ शब्दों पर मात्रा भार पर एक मत नहीं है ,कोई पाँच मानते है व कोई छै मानते है , मै भी छै मात्रा भार लय में पाता हूँ , अब कोई पांच मात्रा में लय लाता है, तब उसका भी हम निषेध नहीं करते है
सादर
सुभाष सिंघई ,जतारा (टीकमगढ़ )म०प्र०