सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर विशेष

स्वतंत्रता संग्राम के महानायक आजादी हेतु तरह-तरह का रूप धरा।
कभी शीतलहर,कभी आंधी-पानी, कभी जेठ वैशाख का धूप सहा।
वन वन भटके,घाटी पथ चूमा,कारागार यातना कई बार सही ।
फिर भी पीछे कदम न रखा कड़ी चुनौती अंग्रेजों को हर बार मिली।
उत्कल के कटक प्रांत में जन्मे सुभाष, थे लाल बड़े बेमिसाल के।
भारत माता के वीर सपूत थे पराक्रम थे बड़े कमाल के।
दिल में था स्वतंत्र भारत की कल्पना विश्व बंधुत्व के भाल थे।
राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद को भी रखा था बड़ा संभाल के।
कभी जर्मनी, कभी सुमात्रा,कभी जापान, सिंगापुर प्रयाण किया
तिरंगा फहराकर अंडमान निकोबार में नई सरकार का नाम दिया।
आजाद हिंद का फ़ौज बनाकर स्वयं कमांडर इन चीफ बने
नई सरकार की घोषणा कर रंगून से स्वयंभू नेता बन हुए खड़े।
आजाद सेना का गठन करके आजाद हिंद फौज का नाम दिया।
लेकिन कोई करेगा भी क्या विधाता के सम्मुख किसी का कुछ नहीं चला
आता है जो इस मृत्य भुवन पर एकदिन सबको मरना पड़ता है।
हुआ क्रेश हवाई जहाज ऐसा कि हमसे इस सपूत को छीन लिया।
उस महान व्यक्तित्व का जन्म दिवस हम बड़े अरमान से मनाते हैं
तेईस जनवरी को श्रद्धा सुमन भेंटकर अपने नेता का मान सम्मान बढ़ाते हैं।
इस शुभ दिवस को पराक्रम दिवस कह नेता जी का करते हैं गुणगान
कभी-कभी अवतरित होते हैं जग में सुभाष चंद्र सा पुरुष महान ।
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