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28 Jan 2024 · 1 min read

प्रेम के वास्ते

मुश्किल था निकलना ही पड़ा प्रेम के वास्ते
फिर दिल को तोड़ना ही पड़ा प्रेम के वास्ते
सफर में आयी ठोकरे तो ये पता चला
कितना मुश्किल था निकलना प्रेम के वास्ते

दिल को घुट के ही रहना पड़ा प्रेम के वास्ते
फिर खुद को समझाना ही पड़ा प्रेम के वास्ते
सिसकियां लेती रही ,मन तड़पता ही रहा
जिंदगी यूँ ही गुजारनी पड़ी प्रेम के वास्ते

यादें रूह को सताती रही प्रेम के वास्ते
फिर जिस्म को जलाती रही प्रेम के वास्ते
ख़ंजर सी चली जब -जब शब्दों में लगे
कराह उठी फिर धड़कन , प्रेम के वास्ते

ममता रानी
झारखंड

Tag: Poem
1 Like · 158 Views
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