Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Sep 2024 · 1 min read

हमारी शान है हिन्दी, हमारा मान है हिन्दी।

हमारी शान है हिन्दी, हमारा मान है हिन्दी।
चिरंतन मूल्य-संस्कृति का, सतत उत्थान है हिन्दी।
प्रवासी भी विदेशों में, बजाते हिन्द का डंका,
मनुज जो हिन्द के वासी, उन्हें वरदान है हिन्दी।

© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद

1 Like · 201 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ.सीमा अग्रवाल
View all

You may also like these posts

तुम भी नादानियां कहां तलाशते हो  नादां ?
तुम भी नादानियां कहां तलाशते हो नादां ?
ओसमणी साहू 'ओश'
..
..
*प्रणय प्रभात*
जीवन में सारा खेल, बस विचारों का है।
जीवन में सारा खेल, बस विचारों का है।
Shubham Pandey (S P)
ग़ज़ल _ थी पुरानी सी जो मटकी ,वो न फूटी होती ,
ग़ज़ल _ थी पुरानी सी जो मटकी ,वो न फूटी होती ,
Neelofar Khan
बहुत पढ़ी थी जिंदगी में
बहुत पढ़ी थी जिंदगी में
VINOD CHAUHAN
* मुक्तक *
* मुक्तक *
surenderpal vaidya
भाव
भाव
अश्विनी (विप्र)
इतनी खुबसुरत हो तुम
इतनी खुबसुरत हो तुम
Diwakar Mahto
हंसी का दर्शनशास्त्र
हंसी का दर्शनशास्त्र
Acharya Shilak Ram
तुम
तुम
Sangeeta Beniwal
आजकल वो मेरी जगह किसी और को पुकारने लगे हैं,
आजकल वो मेरी जगह किसी और को पुकारने लगे हैं,
Jyoti Roshni
" संगीन "
Dr. Kishan tandon kranti
मात - पिता से सीख
मात - पिता से सीख
राधेश्याम "रागी"
सहेज कर रखें आम ...........भी खास हो जाते हैं।
सहेज कर रखें आम ...........भी खास हो जाते हैं।
Ami
पुष्प की व्यथा
पुष्प की व्यथा
Shyam Sundar Subramanian
बीता कल ओझल हुआ,
बीता कल ओझल हुआ,
sushil sarna
"सफ़ीना हूँ तुझे मंज़िल दिखाऊँगा मिरे 'प्रीतम'
आर.एस. 'प्रीतम'
2995.*पूर्णिका*
2995.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
इक रोज़ हम भी रुखसत हों जाएंगे,
इक रोज़ हम भी रुखसत हों जाएंगे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
पितृ तर्पण
पितृ तर्पण
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
कुरसी महिमा धत्ता छंद
कुरसी महिमा धत्ता छंद
guru saxena
क़यामत ही आई वो आकर मिला है
क़यामत ही आई वो आकर मिला है
Shweta Soni
जिंदगी का हिसाब क्या होगा।
जिंदगी का हिसाब क्या होगा।
सत्य कुमार प्रेमी
अपने आत्मविश्वास को इतना बढ़ा लो...
अपने आत्मविश्वास को इतना बढ़ा लो...
Ajit Kumar "Karn"
ज़माने की हवा
ज़माने की हवा
ओनिका सेतिया 'अनु '
*यहाँ पर आजकल होती हैं ,बस बाजार की बातें (हिंदी गजल)
*यहाँ पर आजकल होती हैं ,बस बाजार की बातें (हिंदी गजल)
Ravi Prakash
संघर्षों की एक कथाः लोककवि रामचरन गुप्त +इंजीनियर अशोक कुमार गुप्त [ पुत्र ]
संघर्षों की एक कथाः लोककवि रामचरन गुप्त +इंजीनियर अशोक कुमार गुप्त [ पुत्र ]
कवि रमेशराज
ये तेरे इश्क का ही फितूर है।
ये तेरे इश्क का ही फितूर है।
Rj Anand Prajapati
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
Loading...