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2 Oct 2019 · 2 min read

देवी महात्म्य चतुर्थ अंक * 4*

★देवी महात्म्य अंक 4★
? देवी कूष्मांडा?

दिवस चार का यह नवराता , कुष्मांडा देवी माता।
एक अंड से ब्रह्मांड सकल ,जाना उपजाया जाता।

अपनी मन्द हँसी ही लेकर ,सकल जगत है जनमाया।
माता तेरी लीला न्यारी ,कौन जान अब तक पाया।

रोग शोक को हरनेवाली ,तेरे दर्शन ही काफी है।
पापमुक्त हो जाता पल में ,जो भी मांगे माफी है।

हे माता जिसके हाथों से , तुझ पर प्रसाद चढ़ जाता है।
किंचित सन्देह बिना उसका ,आयु यश धन बढ़ जाता है।

नारंगी वर्णी नवराता , तुझको प्यारा लगता माँ।
ऊर्जा और ज्ञान का संगम ,इसमें ही मिल पाता माँ।

शक्ति प्रेम का सघन ज्ञानभी, इसी रंग में छुपा हुआ है। ,
आनंद प्राप्ति का कारक भी, नारंगी रंग का बुना हुआ है।

मंगल ग्रह है मंगल कारक,सूर्यदेव का ओज छिपा।
और ब्रहस्पति का ज्ञान अनोखा ,इस माता में खूब दिखा।

आदिशक्ति है आदिमाता ,जो सूर्यलोक में बसती थी।
इसीलिये यह तेज सूर्यसम ,अपने तन में रखती थी।

शिव अरदानगी सिंह सवारी ,शोभित अष्टभुजा देवी।
सात हाथ मे आयुध है ,अष्टहाथ माला देवी।

पदम् पुष्प और चक्र गदा, धनुष कमंडल इमरत को।
एक हाथ मे बाण लिए ,भजती माला जग हित को।

दशो दिशा में तेज प्रकाशित , कांति समतुल्य सूरज के।
सकल जगत के रोशन है , तुझसे हर कण इस रज के।

साधक का मन अवस्थित होता ,अनाहत चक्र के अंदर।
सो स्थिर मन से ध्यान धरे ,तो बने उपासना मंदिर।

हे कुष्मांडा माता दे दे ,मुझको स्मित मिश्री जैसी।
‘मधु’बेचारा ध्यान धरे तो , करना कृपा थोड़ी ऐसी।

जिससे मैं भी तर जाऊँ, ओर नाम तुम्हारा हो जग में।
कोई बाधा नही रहे फिर ,हर साधक के मग में।

इस दिन कोय करें पूजा ,विस्तृत मस्तक वाली का।
हलुआ ओर दही भोजन ,भाता इनको थाली का।

फल भेंट चढ़े सूखे मेवे ,तो खुश माता है हो जाती।
बलि जो देना चाहो तो ,कुम्हड़ की ही बलि भाती।

विशेष —
या देवी सर्वभूतेषु कुष्मांडा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्य नमस्तस्य नमस्तस्य नमो नमः।

कलम घिसाई
9414764891

Language: Hindi
Tag: गीत
4 Likes · 1 Comment · 641 Views
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