सर्द रातों में कांपता है कोई
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सर्द सी रात में कांपता है कोई ।
बर्फ की चादरें नापता है कोई ।
पर्वतों पर फतह पा लिए हैं वही।
जो ना सोचे कठिन रास्ता है कोई ।
यह जवानी मिली है इबादत तो कर।
रब से मिलने का ना राब्ता है कोई ।
क्यों दीवाने हो इतने किसी के लिए ।
मां पिता से अधिक चाहता है कोई ।
मुस्कुरा करके देखो तो रहबर इधर ।
जान “नूरी” भला मांगता है कोई।
नूर फातिमा खातून “नूरी”
जिला -कुशीनगर