स्वीकार करना है

गीतिका
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समय की हर चुनौती को हमें स्वीकार करना है।
स्वयं को हर परीक्षा के लिए तैयार करना है।
नहीं कोई यहां दुविधा खुले मन से बढ़ें आगे।
सभी को साथ लेकर अब सभी को प्यार करना है।
जरा हम सोच लें पथ में कदम रुकने नहीं देंगे।
सभी तूफान सी कठिनाईयों को पार करना है।
जरूरी है किसी को ठेस बिल्कुल भी नहीं पँहुचे।
हमेशा सर्व हित लेकर हमें व्यवहार करना है।
रहे कारण निराशा का कभी कोई नहीं देखो।
हृदय में स्नेह का अविरल सदा संचार करना है।
कभी जब सामने हों जिन्दगी के खूबसूरत पल।
प्रकट इस हेतु ईश्वर का हमें आभार करना है।
न शंका हो कहीं भी अब नहीं भटकाव हो कोई।
बहुत मजबूत हमको लक्ष्य का आधार करना है।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य