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9 Jan 2025 · 1 min read

मुक्तक

मुक्तक

कोशिशों का दायरा, जितना बड़ा होगा
उपलब्धियों का सिंहासन , उतना ही ऊँचा होगा |
प्रयासों की डोर , जितनी लम्बी होगी
मंजिलों का सफ़र , उतना ही आसां होगा ||

अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

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