Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Mar 2022 · 2 min read

युद्धक

भाषाओं से ऊपर की है परिभाषाएं!
उन पंथों पर कभी नहीं टिकती बाधाएं!
जिन पंथों पर चलकर कोई राम हुए।
उन्हीं पंथ पर स्वर्णिम पानी घाम हुए।

आज स्वेद की परिभाषाएं बदलूंगा।
मैं पत्थर के काया से भी निकलूंगा।
आज जटिल को सरल बनाने निकला हूं।
आज शैल को तरल बनाने निकला हूं।

जिस प्रेमी के अंतः में अरमान खिलेगा।
उसी प्रेम के भाषा को सम्मान मिलेगा।
घास की रोटी खाकर जो जीवन जी पाए।
वही शून्य साधक ज़हरों से प्यास बुझाए।

आज अखंडित भारत का सम्मान लिखूंगा।
बलिदानी बेटों का ही यशगान लिखूंगा।
आज कथानक को कह दो ऊर्ध्वाधर होकर।
आसमान को भी ला दे इस भूमि पर।

आज सौम्यता है शीर्षक परमार्थ कहुंगा।
आज सकल सृजन सृष्टि शब्दार्थ कहूँगा।
आज देखिए कविता में राणा का भाला।
और युद्ध के मध्य हुआ चेतक मतवाला।

आज देखिए जौहर करती पदमिनियां।
आज देखिए सूर्य तेज पाती हैं मणियां।
और यहां युद्धक भावों को सार मिलेगा।
आज कलम को तलवारों सा धार मिलेगा।

आज कथानक में पोरस जब आएगा।
देख सिकन्दर को माटी चटवाएगा।
आज शिवाजी शंकर जैसे डोलेंगे।
आज खालसा पंथ बाह्य गुरु बोलेंगे।

आज नयन में रक्तोंं की संचार बढ़ेगी।
और धमनियों में युद्धक उद्गार बहेगी।
आज हृदय आतुर होगा फट जाने को।
पर्वत झुककर बोलेगा हट जाने को।

धवल धैर्य खोकर पातक व्यवहार करेगा।
और गगन भी भारत हित जयकार करेगा।
हमने चुना था बुद्ध तुम्हीं ने युद्ध चुना।
सत्य पंथ को कालचक्र आबद्ध चुना।

तो फिर शायद युद्ध रमण पुलकित कर दे।
हो सकता है पुण्य पुष्प अर्पित कर दे।
किंतु बोलो हम रामादल कब हारे हैं?
युद्धकाल में केवल शंभू अवधारे हैं।

दीपक झा “रुद्रा”

Language: Hindi
552 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

हिदायत
हिदायत
Dr. Rajeev Jain
सिर्फ खुशी में आना तुम
सिर्फ खुशी में आना तुम
Jitendra Chhonkar
..
..
*प्रणय प्रभात*
ग़ज़ल- मंज़र नहीं देखा
ग़ज़ल- मंज़र नहीं देखा
आकाश महेशपुरी
रात घिराकर तम घना, देती है आराम
रात घिराकर तम घना, देती है आराम
Dr Archana Gupta
*सर्दी की देखो ऋतु आई (गीत)*
*सर्दी की देखो ऋतु आई (गीत)*
Ravi Prakash
हठ धर्मी बनाना
हठ धर्मी बनाना
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
4073.💐 *पूर्णिका* 💐
4073.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
इंतज़ार मिल जाए
इंतज़ार मिल जाए
Dr fauzia Naseem shad
बदले की चाह और इतिहास की आह बहुत ही खतरनाक होती है। यह दोनों
बदले की चाह और इतिहास की आह बहुत ही खतरनाक होती है। यह दोनों
मिथलेश सिंह"मिलिंद"
6) इंतज़ार
6) इंतज़ार
नेहा शर्मा 'नेह'
प्रेम..
प्रेम..
हिमांशु Kulshrestha
जिंदगी की राहों मे
जिंदगी की राहों मे
रुपेश कुमार
एक कंजूस व्यक्ति कभी भी अपने जीवन में आदर्श स्थापित नही कर स
एक कंजूस व्यक्ति कभी भी अपने जीवन में आदर्श स्थापित नही कर स
Rj Anand Prajapati
*मोबाइल*
*मोबाइल*
Ghanshyam Poddar
I remember you in my wildest dreams
I remember you in my wildest dreams
Chaahat
जिंदगी भर किया इंतजार
जिंदगी भर किया इंतजार
पूर्वार्थ
खेल नहीं
खेल नहीं
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
जुगनू का व्यापार।
जुगनू का व्यापार।
Suraj Mehra
सबक
सबक
अरशद रसूल बदायूंनी
विश्वासघात/धोखा
विश्वासघात/धोखा
लक्ष्मी सिंह
जाने क्या-क्या कह गई, उनकी झुकी निग़ाह।
जाने क्या-क्या कह गई, उनकी झुकी निग़ाह।
sushil sarna
शुभांगी छंद
शुभांगी छंद
Rambali Mishra
ना जाने क्यों...?
ना जाने क्यों...?
भवेश
मेरा तेरा जो प्यार है किसको खबर है आज तक।
मेरा तेरा जो प्यार है किसको खबर है आज तक।
सत्य कुमार प्रेमी
अंतस्थ वेदना
अंतस्थ वेदना
Neelam Sharma
बीते दिन
बीते दिन
Kaviraag
और धुंध छंटने लगी
और धुंध छंटने लगी
नूरफातिमा खातून नूरी
जीजा साली
जीजा साली
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
"बस्तरिया पेय"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...