तुमसे मिलना, शायद नहीं है किस्मत में l
विदा पल कहूं कैसे, बिटिया आती रहना
रमेशराज के शृंगाररस के दोहे
इश्क में हमको नहीं, वो रास आते हैं।
"युद्ध नहीं जिनके जीवन में, वो भी बड़े अभागे होंगे या तो प्र
विरह रस
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
एक पिता की पीर को, दे दो कुछ भी नाम।