कहने को तो सब कहते हैं हर चीज में सकारात्मकता ढूंढो, क्या यह

कहने को तो सब कहते हैं हर चीज में सकारात्मकता ढूंढो, क्या यह इतना आसान है? वैसे नामुमकिन भी तो नहीं! हां थोड़ा मुश्किल है, पर जरूरी भी तो है।
जिंदगी हमेशा खुद को बोझ तले दबाते हुए जीने का नाम तो नहीं हैं ना! इस तरह जीना असल में जीना भी तो नहीं है ना! और जिस परिस्थिति में हम कुछ नहीं कर सकते, कुछ नहीं बदल सकते, उसे छोड़ देना ही बेहतर है, वर्ना सिवाए दर्द के कुछ नहीं मिलेगा। जो भी चिंता हो उससे खुद को थोड़ा दूर करके अपने ध्यान को किसी और चीज में उलझाना होता है, ना चाहते हुए भी थोड़ा भटकना पड़ता है, शायद यूं ही भटकते भटकते नए रास्ते मिल जाएं या मंजिल ही मिल जाए और हम बस ठहरना चाहें।