Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 May 2024 · 1 min read

कबीर क समाजदर्शन

कबीर क समाजदर्शन (भोजपुरी )

अनपढ़ कबिरा भगत बनल बा।
निर्गुण साधू बनल ठनल बा।।
केहू के ऊ नाहीं गिनलन ।
जग में आपन नाम कमइलन।।

देहलन ऊ उपदेश पियारा।
खोललन ऊ हो ज्ञान पिटारा।।
ना काहू से दोस्ती कइलन।
ना काहू क दुशमन बनलन।।

कबिरा संगति साधु भली रे।
यह गंधी क वास मधुर रे।।
साधु बनल जे जग में घूमल।
उहै बनल बढ़िया निक निर्मल।।

जे सबमें देखलेस राघव के।
बैठल उहै हृदय में सब के।।
अहंकार जे मार गिरउलेस।
उहै अमर पद निश्चित पउलेस।।

साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

1 Like · 109 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

चुनाव के बाद अयोध्या
चुनाव के बाद अयोध्या
Sudhir srivastava
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Thus Collapsed a Happy Town
Thus Collapsed a Happy Town
Sanjay Narayan
ज्ञान, चरित्र, संस्कार का धाम - सरस्वती शिशु मंदिर
ज्ञान, चरित्र, संस्कार का धाम - सरस्वती शिशु मंदिर
आलोक पांडेय
ग़ज़ल-जितने पाए दर्द नुकीले
ग़ज़ल-जितने पाए दर्द नुकीले
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
" यह सावन की रीत "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
कभी सोचा है सपने क्या होते हैं?
कभी सोचा है सपने क्या होते हैं?
पूर्वार्थ देव
"आँगन की तुलसी"
Ekta chitrangini
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
सिखला दो न पापा
सिखला दो न पापा
Shubham Anand Manmeet
छोड़ आया हूँ मैं अपना घर, अपनी गलियां, वो अपना शहर,
छोड़ आया हूँ मैं अपना घर, अपनी गलियां, वो अपना शहर,
Ravi Betulwala
जिंदगी के तमाशा
जिंदगी के तमाशा
आकाश महेशपुरी
" सोचो "
Dr. Kishan tandon kranti
आदरणीय मंच,
आदरणीय मंच,
Mandar Gangal
विनती
विनती
Saraswati Bajpai
Why are the modern parents doesn't know how to parent?
Why are the modern parents doesn't know how to parent?
पूर्वार्थ
अर्धांगिन ( शीर्षक )
अर्धांगिन ( शीर्षक )
Varun Singh Gautam
प्रणय
प्रणय
*प्रणय प्रभात*
It All Starts With A SMILE
It All Starts With A SMILE
Natasha Stephen
*अपने अंतर्मन में बैठे, शिव का आओ कुछ ध्यान धरें (राधेश्यामी
*अपने अंतर्मन में बैठे, शिव का आओ कुछ ध्यान धरें (राधेश्यामी
Ravi Prakash
4529.*पूर्णिका*
4529.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
नए मौसम की चका चोंध में देश हमारा किधर गया
नए मौसम की चका चोंध में देश हमारा किधर गया
दीपक बवेजा सरल
पत्थर का शहर
पत्थर का शहर
Poonam Sharma
शम्स' गर्दिश जो यूं ही करता है।
शम्स' गर्दिश जो यूं ही करता है।
Dr fauzia Naseem shad
जज़्बात-ए-कलम
जज़्बात-ए-कलम
Chandrakant Sahu
आपकी कुछ और ही बात है
आपकी कुछ और ही बात है
Jyoti Roshni
सब तो उधार का
सब तो उधार का
Jitendra kumar
**हो गया हूँ दर-बदर, चाल बदली देख कर**
**हो गया हूँ दर-बदर, चाल बदली देख कर**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मातम
मातम
D.N. Jha
धन की खातिर तन बिका,
धन की खातिर तन बिका,
sushil sarna
Loading...