दोहे
दोहे
दोहा-शांत रस
सृजन शब्द-नयना
रे मन नयना खोल ले, सपना ये संसार।
मेरा मेरा छोड़ के,जीवन ले संवार।।
नयना नित हैं देखते, इस दुनियां का खेल।
नश्वर जग है जान ले, प्रभु से कर ले मेल।।
सीमा शर्मा ‘अंशु’
दोहे
दोहा-शांत रस
सृजन शब्द-नयना
रे मन नयना खोल ले, सपना ये संसार।
मेरा मेरा छोड़ के,जीवन ले संवार।।
नयना नित हैं देखते, इस दुनियां का खेल।
नश्वर जग है जान ले, प्रभु से कर ले मेल।।
सीमा शर्मा ‘अंशु’