सबूत- ए- इश्क़
कोई सबूत नहीं है मेरे पास,
तुम्हें कितना याद करता हूं।।
एहसास जितने भी हैं सब तुम्हारे हैं,
तुम्हें बेहिसाब मोहब्बत करता हूं।।
कैसे साबित कर दूं मैं तुम्हारा हूं,
तुम्हें आज भी तलाश करता हूं।।
मेरी तन्हायों का सहारा हो तुम,
तुम्हें हरेक रोज़ याद करता हूं।।
यकीनन तुम भी इक अदाकार हो,
तुम्हारे इश्क का जुर्माना भरता हूं ।।
तुम तक पहुंचने के अनगिनत मोड़ थे,
आज भी तुम्हारी तलाश में भटकता हूं।।
@राहुल_जज़्बाती