लबों पर हंसी सजाए रखते हैं।
हरपल ही हम अपने लबोंपे हंसी सजाए रखते हैं।
कुछ इस तरह हम सबसे ही अपने हर गम को छुपाए रखते हैं।।1।।
क्या तस्कीरा करे हम तुम्हारी बेवफाई का सबसे।
हम दुआओं में तुम्हें पाने की उम्मीद आज भी लगाए बैठे हैं।।2।।
इक उम्र बिता दी हमने तुम्हारे इश्क की जुदाई में।
आज भी हम तुम्हारी यादों में अपने दिल को लगाए रहते हैं।।3।।
हमको ना जरूरत तुम्हारी मदमस्त महफिलों की।
हम तुम्हारी खातिर जहां भर की सब खुशियां लुटाए बैठे हैं।।4।।
राह में कोई भी परेशानी ना आए तुमको आने में।
इक तुम्हारे इंतज़ार में हम अंधेरों में चरागों को जलाए बैठे हैं।।5।।
मुद्दातों बाद कासिद आया है खुश-खबरी लेकर।
जब से खबर लगी है तेरे आने की हम घर को सजाए बैठे हैं।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ