#मात्रा गणना और दोहा छंद
#आइए सीखते हैं,मात्रा गणना के साथ दोहा छंद
क्या होता है दोहा?कैसे लिखा जाता है दोहा?.. आइए जानते हैं दोहा लिखने का नियम..
..?दोहा..
दोहा एक अर्द्धसममात्रिक छंद है।यह सबसे छोटा छंद है; किंतु है सब छंदों से प्रसिद्ध या लोकप्रिय।
इसमें चार चरण होते हैं।इसके दो विषम चरणों यानि प्रथम एवं तृतीय चरणों में तेरह-तेरह मात्राएँ और दो समचरणों यानि द्वितीय एवं चतुर्थ चरणों में ग्यारह-ग्यारह मात्राएँ होती हैं।समचरणों के अंत में लघुमात्रा का आना अनिवार्य है।
लघु मात्रा का चिह्न –।
गुरू मात्रा का चिह्न–S
मात्रा गणना कैसे करें?
लघु मात्राएँ:-
अ,इ,उ,ऋ,ँ की एक(लघु) मात्रा (।)
क्+अ= क एक मात्रा
क्+इ= कि एक मात्रा
क्+उ= कु एक मात्रा
क्+ऋ= कृ एक मात्रा
क+म+ल=।।।
हँ+स=।।
गुरू मात्राएँ:-
?आ,ई,ऊ,ए,ऐ,ओ,औ एवं ं की गुरू मात्रा (S)
क्+आ = का
क्+ई = की
क्+ऊ = कू
क्+ए = के
क्+ए = कै
क्+ओ = ओ
क्+औ = औ
कं (गुरू मात्राएँ)
जैसे-
का+ज+ल=S+।+। (कुल चार मात्राएँ)
संयुक्त व्यंजन के आगे लघु मात्रा हो तो वह गुरू मात्रा गिनी जाएगी।
-कुछ संयुक्त व्यंजन
क्ष,त्र,ज्ञ,क्ष,क्का,भ्या, क्खी आदि।
जैसे-अभ्यास
अ+भ्या(संयुक्त व्यंजन)+स
गणना = भ्या संयुक्त व्यंजन होने के कारण ‘अ ‘ लघु होते हुए भी गुरू माना जाएगा।
किंतु ‘न्हा’ के आगे लघु मात्रा होने पर लघु ही रहेगी।
जैसे ‘तन्हा’
त + न्हा = ।S
दोहा छंद के माध्यम से आप सीमित शब्दों में बहुत कुछ कह सकते हैं,दूसरे शब्दों में कहें तो ‘गागर में सागर’ भर सकते हैं।
दोहा छंद का उदाहरण :-
नीयत से तू कीजिए,सभी बनेंगे काम।
सबरी देखे राह तो,आएंगे फिर राम।।