भेड़ों के बाड़े में भेड़िये
सारे जहाँ के दर्द से,
वहाँ उसका नाता है,
तभी तो वो मजलूम
अपने
घर आना चाहता है ।
है तुझे क्यों ऐतराज
इस बात पर,
तू क्यों बिलबिलाता है,
तेरा क्या उखाड़ा हैं
बेचारों ने,
क्यों इन्हें
रोकना चाहता है ।
बमुश्किल
उम्मीद जगी
अब आकर,
पर,
मासूम भेड़ों के साथ
बाड़े में,
तू क्यों?
भेड़िये बसाना चाहता है ।