प्रतियोगी छात्र
प्रतियोगी छात्रों के जीवन में संकट अपार है।
युवाओं पर होता यहाँ सदा अत्याचार है।।
परीक्षा में सेंटर होता कोसों दूर है।
मगर क्या करे युवा, यह ज़हर पीने को मजबूर है।।
पहले फॉर्म के पैसे दो, फिर मार्ग के किराए का।
पेपर लीक हो जाए तो कोर्ट में पैरवी कराने का।।
और तो सब ठीक है पर एक सवाल जोरदार है।
हर परीक्षा में मिलती नकलचियों की जो भरमार है।।
आखिर कब तक चलेगा खेल, इसका कौन जिम्मेदार है।
क्या हम सभी युवा सिर्फ वोट के हथियार हैं।
‘शुचिता और पारदर्शिता’ शब्द केवल एक मजाक है।
हमें पता है युवाओं के प्रति आपके इरादे नापाक हैं।