प्रकाशित हो मिल गया, स्वाधीनता के घाम से
शुभ सुहिंदुस्तान हूँ, देखो मुझे आराम से ।
गुलामीं के निशा, दर्दीले-जवाँ पैगाम से ।
घाव गहरे दिए पर, मुस्कान का आलोक गह
प्रकाशित हो मिल गया, स्वाधीनता के घाम से।
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✓मेरी कृति “पं बृजेश कुमार नायक की चुनिंदा रचनाएं” का मुक्तक।
✓पं बृजेश कुमार नायक की चुनिंदा रचनाएं कृति का द्वितीय संस्करण अमेज़न और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है।
बृजेश कुमार नायक