न जाने कौन रह गया भीगने से शहर में,
*खत आखरी उसका जलाना पड़ा मुझे*
पल परिवर्तन
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
सभी कहने को अपने हैं मगर फिर भी अकेला हूँ।
जब तक हम अपने भीतर नहीं खोजते हम अधूरे हैं और पूर्ण नहीं बन
वीरांगना लक्ष्मीबाई
Anamika Tiwari 'annpurna '
जेठ सोचता जा रहा, लेकर तपते पाँव।
यूं तेरी आदत सी हो गई है अब मुझे,
- जिंदगी हर बार मौका नही देती -
दोहे बिषय-सनातन/सनातनी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
रात अज़ब जो स्वप्न था देखा।।
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
#हे राम मेरे प्राण !
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी