पूँछ रहा है घायल भारत
लोकतंत्र का हनन हुआ है तानाशाही जारी है।
संविधान के अनुच्छेदों पर चलती रोज कटारी है।
समता और समानता वाले केवल भाषण होते हैं।
जनता को बहकाने के अच्छे आकर्षण होते हैं।
भीमराव के सपनों का भारत लुटा दिखाई देता है।
नेहरू पटेल गांधी का सपना टुटा दिखाई देता है।
प्रस्तावना रो देती उस दम सारे एक्ट लजाते हैं।
संविधान निर्माता को जब अनपढ़ गाली दे जाते हैं।
ग़द्दारों द्वारा संविधान के जब पृष्ठ जलाये जाते हैं।
उनके समर्थन के खातिर जयघोष कराये जाते हैं।
कोई रेपिया संसद जा कर मंत्री पद पा जाता है।
और माफिया गुंडा आ अधिकारी पर रौब जमाता है।
एक अनपढ़ नेता के आगे प्रशासन झुक जाता है।
शोषित पीड़ित वंचित को तब न्याय नहीं मिल पाता है।
पूछ रहा है घायल भारत इतनी क्यों लाचारी है।
संविधान के अनुच्छेदों पर चलती रोज कटारी है।
अन्न उगाने वालों पर ऐसी भी हुकुमत चलती है।
फसलों के दाम नही मिलते बदले में लाठी मिलती है।
युवा घूमता परेशान है रोजगार को तरस रहा।
हक हकूक की बात करे तो उस पर डंडा बरस रहा।
बहू बेटियाँ नही सुरक्षित ये कैसी आजादी है।
घर से बाहर गर निकले तो अस्मत की बर्बादी है।
भारत की एकता पर ऐसे भी घाव बनाये जाते हैं।
जाति धर्म का ताना देकर युद्ध कराये जाते हैं।
माना धर्म का ज्ञान मिले तब मानव पूरा होता है।
पर संविधान की शिक्षा बिन सब ज्ञान अधूरा होता है।
लोकतंत्र का हत्यारा है वह भारत का दुश्मन है।
मानवता को भूल गया जिसे संविधान से नफ़रत है।
ऐसे लोगों पर भी क्यों सत्ता की चौकीदारी है।
संविधान के अनुच्छेदों पर चलती रोज कटारी है।
शोषित पीड़ित वंचित कोई जब साहस कर जाता है।
अपनी मेहनत के बलबूते जब आगे बढ़ जाता है।
देख तरक्की उसकी तब कुछ बंदे शोर मचाते हैं।
मंचों पर चिल्लाकर वे आरक्षण गलत बताते हैं।
आरक्षण क्यों हुआ जरूरी प्रश्न खड़ा रह जाता है।
उनपर किसने जुल्म किये ये कोई नही बतलाता है।
संविधान जब मिला देश को तब उनको
अधिकार मिला।
अहसास हुआ जीने का उनको जीवन का आधार मिला।
संविधान ने ही नारी को अधिकार बराबर दिलवाया।
संविधान ने ही नारी को सम्मान बराबर दिलवाया।
लोकतंत्र की उचित व्यवस्था से पहचाना जाता है।
सर्वश्रेष्ठ दुनिया में भारत इसीलिए कहलाता है।
ऊंच नीच की फिर भारत में क्यों फैली बीमारी है।
संविधान के अनुच्छेदों पर चलती रोज कटारी है।
जाने कितने शीश कटे थे तब भारत आजाद हुआ।
एक हुए जो बँटे हुए थे तब भारत आजाद हुआ।
सबने मिलकर जंग लड़ी थी तब भारत आजाद हुआ।
खून की नदियाँ खूब बहीं थी तब भारत आजाद हुआ।
कुर्बान किये माँओं ने बेटे तब भारत आजाद हुआ।
बहनों ने रण में भाई भेजे तब भारत आजाद हुआ।
दुल्हनों ने सिंदूर दिये थे तब भारत आजाद हुआ।
पिता ने लख्ते जिगर दिये थे तब भारत आजाद हुआ।
खून खराबा खूब हुआ था तब भारत आजाद हुआ।
काशी काबा नही हुआ था तब भारत आजाद हुआ।
माली बन कर की रखवाली देश के जिम्मेदारों ने।
नींद त्याग कर इसे बचाया देश के पहरेदारों ने।
आज लुट रहा अपना गुलशन कैसी पहरेदारी है।
संविधान के अनुच्छेदों पर चलती रोज कटारी है।
अश्फाक बोस बिस्मिल आजाद का प्यारा भारत कहाँ गया।
राजगुरु, सुखदेव, भगत का प्यारा भारत कहाँ गया।
सोने की चिड़िया कहलाने वाला भारत कहाँ गया।
दिनकर, पंत निराला वाला प्यारा भारत कहाँ गया।
रहमान हों शामिल राम के दर्द में ऐसा भारत कहाँ गया।
राम बने हमदर्द रहीम के ऐसा भारत कहाँ गया।
लहू बहे न धर्म के नाम पे ऐसा भारत कहाँ गया ।
मर जाए कोई शर्म के नाम से ऐसा भारत कहाँ गया।
लहू बहाते बात – बात पे धर्म के ठेकेदार यहाँ।
धर्म के नाम से पनप गए हैं कुछ गुंडे गद्दार यहाँ।
मानवता को बेंच के सारे धर्म बचाने निकले हैं।
वस्त्र नोच के भारत माँ के मान बचाने निकले हैं।
अपनों की ही अपनों के प्रति ये कैसी गद्दारी है।
संविधान के अनुच्छेदों पर चलती रोज कटारी है।
-रमाकांत चौधरी
गोला गोकरणनाथ लखीमपुर खीरी
उत्तर प्रदेश
(नोट- रचना सर्वाधिकार सुरक्षित है)