न तोड़ दिल ये हमारा सहा न जाएगा
न तोड़ दिल ये हमारा सहा न जाएगा
तू चाहकर भी हमें ढूँढ़ फिर न पाएगा
किया जो दूर हमें खुद से याद रखना ये
जिएंगे तो हमें जीना मगर न भाएगा
ये माना ठीक हो जाएँगे ज़ख़्म सब तेरे
निशान इनके मगर किस तरह मिटाएगा
जला न पाया है जब तू चराग उल्फ़त के
चलन वफ़ा का भला किस तरह निभाएगा
लगा के प्यार का मरहम सुखा सभी देंगे
हमें तू ज़ख़्म अगर दिल के सब दिखाएगा
हमारे गीत ये खिलने लगेंगे फूलों से
लबों से अपने तू जब इनको गुनगुनाएगा
हमारी दास्तां गर ’अर्चना’ सुनी तूने
हमारा दर्द तुझे रात दिन रुलाएगा
24.07.2023
डा अर्चना गुप्ता(840)