दीवारों में दीवारे न देख
ग़ज़ल
काम तू दिन रात कर ,आकाश के तारे न देख
मंजिलों को देख दीवारों में दीवारें न देख
कश्ती तूफ़ानों से तुझको पार ले जानी है तो
बाजुओं को देख अपने सिर्फ पतवारें न देख
पाक वादे नेक वंदे साथ जालिम भी हैं लोग
हौसले से देख दुनिया खौफ के मारे न देख
भर सके तो पेट भरना तू गरीबों का सदा
भूख की अब देख ज्वाला आग अंगारे न देख
जोश आवाज में भर इल्म का रख तीर हाथ
तू अकेला है बहुत अब सैकड़ों नारे न देख
डा. सुनीता सिंह ‘सुधा’
21/5/2023