कलियां उनके लिए गिराना थोड़ी लाकर
हर-सम्त देखा तो ख़ुद को बहुत अकेला पाया,
काली शर्ट पहनकर तुम आते क्यों हो?
|नये शिल्प में रमेशराज की तेवरी
__________सुविचार_____________
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
अपने दिल का हाल न कहना कैसा लगता है
बाण मां सूं अरदास
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
*जश्न अपना और पराया*
pratibha Dwivedi urf muskan Sagar Madhya Pradesh
*13 जुलाई 1983 : संपादक की पुत्री से लेखक का विवाह*
कभी चाँद को देखा तो कभी आपको देखा
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
खुद से है दूरी मीलो की...