Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Jun 2024 · 2 min read

गृहणी

शीर्षक – गृहणी

तुम बहुत ही सुंदर हो
हां लेकिन अब पहले जैसी नहीं हो
घर की जिम्मेदारियों ने घेर रखा है तुम्हें
एक कमरे को सजाने में उलझी हो

बाल बिखरे हुए हैं आंखों में आ रहे हैं
अपने मैले हाथों से उन्हें हटा रही हो
आईने के सामने आकर मुस्कुरा रही हो
चहरे पर जो मुस्कान है उसे छिपा रही हो

पति ऑफिस चले गए हैं
बच्चों को अपनें साथ ले गए हैं
आज़ टिफिन बना नहीं पाई हो
कल रात से बुखार में तप कर आई हो

फिर भी लगी हुई हो घर संभाल रही हो
बिना कुछ बोले समझें मानो अपना धर्म निभा रही हो
यूं भाग भाग कर घर जल्दी सज़ा रही हो
अभी तो बर्तन कपड़े बाकी हैं यह सोचते हुए घबरा रही हो

चक्कर सा लग रहा है दिमाग़ घूम रहा है
फिर भी अपने आप पर मुस्कुरा रही हो
झूठी संतावना दे रही हो खुद को ऐसे ही ठीक कर रही हो
कर काम…… लो हो जाएगा थोड़ा सा तो और रह गया है
अपने आप को समझा रही हो ,,,,.,,मैं नहीं करुंगी तो कौन करेगा फिर?
ऐसे अनगिनत सवाल उठा रही हो

किचेन में वो सफ़ेद चाय का कप ज्यो का त्यों धरा पड़ा है
तुम काम में उलझी हो चाय पीने का होश नहीं है
बस काम जल्दी खतम करके खाना बनाना है बच्चें आते होंगे
यही सोचकर जल्दबाजी में अपनी उंगलियां काट रही हो

उस घाव को धोकर थोड़ा सा सिसक कर हल्दी लगा रही हो
सबकुछ बन गया है अब रोटियां बना रही हो घी लगा रही हो
बच्चों को खिलाकर ख़ुद खा रही हो फिर उन्हें थोड़ी देर सुला रही हो
बच्चें सो गए हैं अब रात्रि भोजन की तैयारी में फिर से उलझ गई हो

सुबह से शाम हो गई लेकिन ख़ुद के लिए समय नहीं निकाल पाई हो
तभी ……सहेली का फ़ोन आते देख तुम्हारे चेहरे पर रौनकें आईं हैं
फिर बातों ही बातों में घंटों बिताई हो, घर घर की कहानियों में
फिर अपने गम भुला रही हो , आज़ तो बीत गया कल क्या बनाऊंगी
यही विचारते विचारते नींद में कहीं दूसरी दुनियां में जा पहुंची हो

जिस सुनहरी दुनियां में तुम जा पहुंची हो बह दुनियां तुम्हारे भीतर है
जहां की महारानी हो तुम, कुछ देर के बाद सो चुकी हो गहरी नींद में जा चुकी हो
_सोनम पुनीत दुबे

Language: Hindi
1 Like · 100 Views
Books from Sonam Puneet Dubey
View all

You may also like these posts

"ऐसा करें कुछ"
Dr. Kishan tandon kranti
यहाॅं हर कोई जीयेगा,
यहाॅं हर कोई जीयेगा,
Ajit Kumar "Karn"
जय माँ चंद्रघंटा
जय माँ चंद्रघंटा
©️ दामिनी नारायण सिंह
लोग आसमां की तरफ देखते हैं
लोग आसमां की तरफ देखते हैं
VINOD CHAUHAN
Swami Vivekanand
Swami Vivekanand
Poonam Sharma
त्रिपदिया
त्रिपदिया
Rambali Mishra
भेद नहीं ये प्रकृति करती
भेद नहीं ये प्रकृति करती
Buddha Prakash
🙅बस एक सवाल🙅
🙅बस एक सवाल🙅
*प्रणय*
From Dust To Diamond.
From Dust To Diamond.
Manisha Manjari
मुक्तक
मुक्तक
जगदीश शर्मा सहज
वफ़ा की कसम देकर तू ज़िन्दगी में आई है,
वफ़ा की कसम देकर तू ज़िन्दगी में आई है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
प्रसिद्ध मैथिली साहित्यकार आ कवि पं. त्रिलोचन झा (बेतिया चम्पारण जिला )
प्रसिद्ध मैथिली साहित्यकार आ कवि पं. त्रिलोचन झा (बेतिया चम्पारण जिला )
श्रीहर्ष आचार्य
बेकाबू हैं धड़कनें,
बेकाबू हैं धड़कनें,
sushil sarna
काल के काल से - रक्षक हों महाकाल
काल के काल से - रक्षक हों महाकाल
Atul "Krishn"
परिणाम से डरो नहीं
परिणाम से डरो नहीं
मिथलेश सिंह"मिलिंद"
जीवन में असफलता के दो मार्ग है।
जीवन में असफलता के दो मार्ग है।
Rj Anand Prajapati
जब तक हो तन में प्राण
जब तक हो तन में प्राण
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
***रिमझिम-रिमझिम (प्रेम-गीत)***
***रिमझिम-रिमझिम (प्रेम-गीत)***
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
आह्वान
आह्वान
Shyam Sundar Subramanian
कहानी घर-घर की
कहानी घर-घर की
Brijpal Singh
आलिंगन
आलिंगन
Ruchika Rai
प्रेम, अनंत है
प्रेम, अनंत है
हिमांशु Kulshrestha
कभी-कभी खामोशी की,
कभी-कभी खामोशी की,
अनिल "आदर्श"
मुझे भूल जाना
मुझे भूल जाना
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
मात्रा कलन
मात्रा कलन
आचार्य ओम नीरव
4397.*पूर्णिका*
4397.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मन ही मन में मुस्कुराता कौन है।
मन ही मन में मुस्कुराता कौन है।
surenderpal vaidya
दारू के खतिरा भागेला
दारू के खतिरा भागेला
आकाश महेशपुरी
कोई शिकायत आपको हमसे अब होगी नहीं
कोई शिकायत आपको हमसे अब होगी नहीं
gurudeenverma198
अब क्या करे?
अब क्या करे?
Madhuyanka Raj
Loading...