जाये तो जाये कहाँ, अपना यह वतन छोड़कर
सच्चा ज्ञानी व्यक्ति वह है जो हमें अपने भीतर पहुंचने में मदद
लोगों को ये चाहे उजाला लगता है
यूं तन्हाइयों को अपने अंदर समेटे रक्खा है मैंने,
कजलियों की राम राम जी 🙏🙏🎉🎉
तन मन में प्रभु करें उजाला दीप जले खुशहाली हो।
ग़ज़ल __ दुआ देने से दुनिया में, दुआएं कम नहीं होती।
प्रदूषण-जमघट।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
“बसता प्रभु हृदय में , उसे बाहर क्यों ढूँढता है”
मिथिलाक सांस्कृतिक परम्परा
"एक विचार को प्रचार-प्रसार की उतनी ही आवश्यकता होती है
"डिजिटल दुनिया! खो गए हैं हम.. इस डिजिटल दुनिया के मोह में,