पुरानी यादें, पुराने दोस्त, और पुरानी मोहब्बत बहुत ही तकलीफ
कुमार ललिता छंद (वार्णिक) 121 112 2 7
ग़ज़ल -1222 1222 122 मुफाईलुन मुफाईलुन फऊलुन
आज के समय में हर व्यक्ति अपनी पहचान के लिए संघर्षशील है।
मुझे वास्तविकता का ज्ञान नही
धरती पर जन्म लेने वाला हर एक इंसान मजदूर है
अ'ज़ीम शायर उबैदुल्ला अलीम
मना लिया नव बर्ष, काम पर लग जाओ
ज़माने से मिलकर ज़माने की सहुलियत में
जीवन की कशमकश के बीच, आरज़ू थम सी गई है।
कोई जिंदगी में यूँ ही आता नहीं
भालू,बंदर,घोड़ा,तोता,रोने वाली गुड़िया
तेरी यादें बजती रहती हैं घुंघरूओं की तरह,
सब के सब ख़ुद को कहते हैं आला,