Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 May 2024 · 1 min read

तमाशा

सुनते थे जो हर बातों को,करने लगे बहाने अब।
छुप -छुप कर ही देखा करते,आंखें लगे चुराने अब।

हंसते गाते ही रहते थे,खोए- खोए दिखते हैं,
सुनते थे जो हर बातों को,करने लगे बहाने अब।

छोटी -छोटी बातों पर भी, खूब तमाशा करते हैं,
बात -बात पर ऐसे बरसे,डंका लगे बजाने अब।

पैसा- पैसा करते रहते, नशा चढ़ा है पैसों का,
घर का सारा काम छोड़कर,वे भी चले कमाने अब।

चूल्हा -चौका छोड़ दिया है, होटल का खाना अच्छा,
घर का खाना छोड़ -छाड़ कर,थाली लगे बजाने अब।

बातों को सुनकर अब मेरे,सिर को खूब खुजाते हैं,
बातों ही बातों में ‘दीपक’,मुझको लगे घुमाने अब।
डी एन झा दीपक ©

1 Like · 190 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

रास्ते का फूल ना बन पाई तो..
रास्ते का फूल ना बन पाई तो..
Priya Maithil
न पाने का गम अक्सर होता है
न पाने का गम अक्सर होता है
Kushal Patel
ऋतुराज
ऋतुराज
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
बात कोई ऐसी भी कह दो ।
बात कोई ऐसी भी कह दो ।
Deepak Baweja
आदमखोर
आदमखोर
*प्रणय प्रभात*
भरी रंग से जिंदगी, कह होली त्योहार।
भरी रंग से जिंदगी, कह होली त्योहार।
Suryakant Dwivedi
"चारों तरफ अश्लीलता फैली हुई है ll
पूर्वार्थ
बिना चले गन्तव्य को,
बिना चले गन्तव्य को,
sushil sarna
आज गज़ल को दुल्हन बनाऊंगा
आज गज़ल को दुल्हन बनाऊंगा
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कविता
कविता
Neelam Sharma
सर्द हवाओं का मौसम
सर्द हवाओं का मौसम
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
अतीत के पन्ने (कविता)
अतीत के पन्ने (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
उड़ने दे मुझे
उड़ने दे मुझे
सोनू हंस
क्या होता है क़ाफ़िया ,कहते किसे रदीफ़.
क्या होता है क़ाफ़िया ,कहते किसे रदीफ़.
RAMESH SHARMA
"कलम"
Dr. Kishan tandon kranti
गणेश वंदना
गणेश वंदना
Sushil Pandey
कुछ बीते हुए पल -बीते हुए लोग जब कुछ बीती बातें
कुछ बीते हुए पल -बीते हुए लोग जब कुछ बीती बातें
Atul "Krishn"
जो चाहा वो मिल न सका ,
जो चाहा वो मिल न सका ,
अश्विनी (विप्र)
वो
वो
हिमांशु Kulshrestha
जैन मुनि है महावीर स्वामी भगवान हो
जैन मुनि है महावीर स्वामी भगवान हो
Buddha Prakash
वीर भगत सिंह
वीर भगत सिंह
आलोक पांडेय
प्रेम.... मन
प्रेम.... मन
Neeraj Kumar Agarwal
296क़.*पूर्णिका*
296क़.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
गंगा
गंगा
Madhuri mahakash
National Symbols of India
National Symbols of India
VINOD CHAUHAN
आगे बढ़ निरंतर
आगे बढ़ निरंतर
Chitra Bisht
मालूम है तुमको यह
मालूम है तुमको यह
gurudeenverma198
🛕: हे मानव!! क्यों परेशान होता है?
🛕: हे मानव!! क्यों परेशान होता है?
उषा श्रीवास वत्स
हमारी  मूल  भाषा  है,  हमें  पढ़ना   सिखाती  है,
हमारी मूल भाषा है, हमें पढ़ना सिखाती है,
Abhishek Shrivastava "Shivaji"
जिनके चेहरे की चमक के लिए,
जिनके चेहरे की चमक के लिए,
श्याम सांवरा
Loading...