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20 Oct 2017 · 1 min read

दावत है….

सीरत पाई यार,तूने ग़ज़ब गुलाब की।
सूरत में झलक है,भौर के आफ़ताब की।
मस्वरा देते गर, मानो “प्रीतम” आब की।
दावत है रात को,इन आँखों में ख़्वाब की।
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Language: Hindi
191 Views
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Books from आर.एस. 'प्रीतम'
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