#कुंडलिया//दोहा//रोला//छंद कैसे लिखें?
#कुंडलिया
नकली जीवन शान से , जीते अब हैं लोग।
मूल्य ह्रास ही मानिए , झूठ प्रदर्शन रोग।।
झूठ प्रदर्शन रोग , भेद खुलते ही लानत।
सादापन राखिये , सदा होगी खिदमत।
सुन प्रीतम की बात , खेल खेलो तुम असली।
भरता नहीं हुँकार , सिंह बना गधा नकली।
#कुंडलिया छंद की परिभाषा
कुंडलिया छंद दोहा और रोला छंद से मिलकर बनता है।
इसमें छह पद होते हैं। पहले दो पद दोहा छंद के और आगे के चार पद रोला छंद के होते हैं। दोहा छंद का चौथा चरण रोला छंद की शुरुआत करता है।
यह छंद जिस चरण से शुरू होता है , उसी का एक शब्द अंत में आता है।
दोहा+रोला=कुंडलिया
#दोहा छंद
यह एक अर्द्ध सममात्रिक छंद है। इसमें चार चरण होते हैं। इसके प्रथम एवं तृतीय चरण में तेरह-तेरह मात्राएँ होती हैं और द्वितीय एवं चतुर्थ चरण में ग्यारह-ग्यारह मात्राएँ होती हैं।
दूसरे और चौथे चरण के अंत में लघु मात्रा आती है।
पहला और तीसरे चरण में मात्राएँ
4+4+2+1+2 या 3+3+2+1+2 का योग होता है
या
4+3+1+2+1+2 या 3+3+2+1+1+1
दूसरे और चौथे चरण में मात्राएँ
4+4+2+1या 3+3+2+2+1का योग होता है
उदाहरण-
नकली जीवन शान से , जीते अब हैं लोग।
मूल्य ह्रास ही मानिए , झूठ प्रदर्शन रोग।।
#रोला छंद
यह एक सममात्रिक छंद है। इसमें चार पद होते हैं।
इसके प्रत्येक पद में चौबीस-चौबीस मात्राएँ होती हैं।
प्रत्येक पद की यति ग्यारह तेरह मात्राओं पर होती है।
पदांत में दो गुरू(ss) ,एक गुरू दो लघु (sII)या दो लघु एक गुरू(IIS) आते हैं।
#उदाहरण
झूठ प्रदर्शन रोग , भेद खुलते ही लानत।
सादापन राखिये , सदा होगी खिदमत।
सुन प्रीतम की बात , खेल खेलो तुम असली।
भरता नहीं हुँकार , सिंह बना गधा नकली।
#आर.एस. ‘प्रीतम’