55…Munsarah musaddas matvii maksuuf
हम दो किनारे हो गए .......
मैं गर्दिशे अय्याम देखता हूं।
दो घड़ी अयन फिर बच्चा हो गया
जिंदगी सीरीज एक जब तक है जां
वो ठोकर से गिराना चाहता है
હું તને પ્રેમ કરું તેમાં શું નવાઈ!!
काल्पनिक अभिलाषाओं में, समय व्यर्थ में चला गया
*जाति मुक्ति रचना प्रतियोगिता 28 जनवरी 2007*
"हिचकी" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
कली से खिल कर जब गुलाब हुआ
याद रख कर तुझे दुआओं में ,
अगर मांगने से ही समय और प्रेम मिले तो क्या अर्थ ऐसे प्रेम का
कुछ तो पोशीदा दिल का हाल रहे
....बेटों को भी सिखाएं...