” जाड्डडो आगयो”
” जाड्डडो आगयो”
नवंबर महीनो जाड्डडो लायो
तावड़े मै बैठकीं सारा सिकांगा
जाड्डडां की तो बात ए न्यारी सै
गरम गरम रजाई मै सोवांगा,
गुड़ आली गज्जक खावांगा
पूनिया तो योजना बनारी सै
तिल आली रेवड़ी भी आगी
वे भी तो आपी सारा ल्यावांगा,
जूता जुराबा मैं जाड्डडो लागगो
कान ठिरंगा जद टोपी पहरांगा
आग बालकी सारा हाथ सेकांगा
हाथा मै फेर दस्ताना पहरांगा,
मां धोरै मीठो गूंद बनवावांगा
स्टील आली टैण मैं घालांगा
मूंगफली नै राख मैं सेकांगा
संतरा छात पै बैठकी खावांगा,
सोवंती आणि तातै पाणी तै
मुंह धोकी वैसलीन लगावांगा
बिस्तर मैं गर्म दूध जलेबी का
जाड्डडा मैं तो सबनै मज़ा आवंगा।