Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Jan 2023 · 4 min read

चीन और महाभारत

यदि कोई आपसे कहे कि महाभारत काल में चीन भी भारत का अंग था , तो क्या आप इस बात पर भरोसा कर सकेंगे? लेकिंन महाभारत में इस बात का जिक्र आता है कि स्वयं भगवान श्रीकृष्ण इस बात की पुष्टि करते हैं कि चीन का सम्राट युद्धिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में उनकी अधीनता स्वीकार करते हुए आया था। यहाँ तक कि राजा मान्धाता भी इस बात की पुष्टि करते हैं चीन भारत का अंग था। महाभारत के आदि पर्व , सभा पर्व , वन पर्व , उद्योग पर्व , भीष्म पर्व और शांति पर्व में चीन का जिक्र आता है। आइये एक एक कर सारे घटनाक्रमों को देखते हैं ।

चीन का सर्वप्रथम जिक्र महाभारत के आदि पर्व में आता है । आदि पर्व के चैत्र रथ पर्व में इस बात का जिक्र आता है कि अर्जुन से चैत्र रथ नामक गन्धर्व का युद्ध होता है। जब गन्धर्व ही अर्जुन से हार हो जाती है तब वो अर्जुन से मित्रता करके अनेक कहानियां बताता है । इसी घटना क्रम में अर्जुन को ताप्ती नंदन कहकर संबोधित करता है , तो इसी दौरान विश्वामित्र और वशिष्ठ के बीच लड़ाई का भी जिक्र करता है । जब गन्धर्व विश्वामित्र और वशिष्ठ के बीच की लड़ाई का वर्णन करता है तब बताता है कि कैसे नंदिनी गाय ने क्रुद्ध होकर अनेक देशों को जन्म दिया और उनमें से एक चीन भी था । इस घटनाक्रम को विस्तारपूर्वक देखते हैं।

चीन का वर्णन महाभारत में दूसरी बार सभा पर्व के दिग्विजय पर्व में आता जब अर्जुन भारतवर्ष के उत्तर भाग स्थित प्रदेशों का दौरा करते हैं और इन प्रदेशों को जीतते चले जाते हैं। इसी क्रम में अर्जुन का प्रागज्योतिनरेश राजा भागदत्त के साथ युद्ध का वर्णन है। जब राजा भागदत के प्रदेश का वर्णन किया किया है वहीं पर इसके सीमावर्ती प्रदेशों में एक चीन का भी वर्णन किया गया है।

चीन का तीसरी बार जिक्र स्वयं भगवान श्रीकृष्ण के मुख से किया है जो कि वन पर्व के इंद्र लोक गमन पर्व में उद्धृत है। कौरवों द्वारा जुए में हार जाने के बाद जब पांडव वन में जाने को बाध्य हो जाते हैं तब भगवान श्रीकृष्ण उनसे मिलने आते हैं। यहां पर श्रीकृष्ण बताते है कि कैसे राजसूय यज्ञ में चीन का राजा भी युद्धिष्ठिर के रसोइ में आया था। छल द्वारा धर्मराज का राज्य छीन लिया गया था इसी कारण श्रीकृष्ण आगे प्रतिज्ञा भी करते हैं कि वो पांडवों को उनका छीना हुआ राज्य वापस दिला देंगे।

चीन का चौथी बार जिक्र उद्योग पर्व के भगवदयान पर्व में आता है। जब श्रीकृष्ण संधि का प्रस्ताव लेकर जाने वाले होते हैं तब भीम उन्हें आगाह करते हैं। दुर्योधन की क्रोधपूर्ण वृत्ति से आगाह करते हुए श्रीकृष्ण से कटु बातें नहीं करने की सलाह भी देते हैं। अपनी बात को देखने के लिए भीम श्रीकृष्ण को 16 राजवंशों का नाम भी बताते हैं और ये भी चेताते हैं कि कैसे उन वंशों के राजाओं द्वारा पूरे वंश का सर्वनाश किया गया। इसी प्रक्रम में भीम द्वारा चीन के एक राजवंश का वर्णन किया गया है।

चीन का पांचवी बार जिक्र भीष्म पर्व के भूमि पर्व में आता है जब धृतराष्ट्र के पूछने पर संजय दुर्योधन द्वारा अधीन पूरे भारतवर्ष का वर्णन करते है। यहीं पर पर संजय पुरे भारत वर्ष का वर्णन करते हैं और चीन को दुर्योधन द्वारा शासित प्रदेशों में से एक प्रदेश बताते हैं।

चीन का छठी बार जिक्र महाभारत के शांति पर्व के राजधार्मनुशासन पर्व में आता है। युद्ध खत्म होने के बाद जब भीष्म पितामह अपने शरीर का त्याग नहीं करते हैं और सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार करते हैं तब युद्धिष्ठिर उनसे जाकर जीवन की शिक्षा लेते हैं । इसी प्रक्रम में जब युद्धिष्ठिर भीष्म पितामह से राजधर्म के बारे में पूछते हैं , तब भीष्म उन्हें राजा मान्धाता और इंद्र के बीच हुए संवाद का वर्णन करते हैं। इसी संवाद में राजा मांधाता द्वारा चीन को अपने द्वारा शासित प्रदेशों में से एक बताया गया है।

यद्यपि महाभारत के वनपर्व के अजगर पर्व की एक और घटना है जहां पर राजा सुबाहु के हिम प्रदेश का वर्णन आता है, फिर भी चीन शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया है। पांडवों के गंद मादन , बदरिकाश्रम , सुबहुनगर में प्रवेश का वर्णन किया है । बाद की घटनाओं में भीम के पूर्वज राजा नाहुष द्वारा, जो कि एक अजगर बन गए थे, भीम को जकड़ने तथा युधिष्ठिर द्वारा उस अजगर बने नाहुष के प्रश्नों का उत्तर देने के बाद भीम के बंधन मुक्त होने का वर्णन किया गया है। इसी क्रम में सुबाहु के हिम प्रदेश का वर्णन है जिसे कुछ अन्य किताबों में चीन के नाम से संबोधित किया गया है।

इस प्रकार हम देखते हैं कि चीन का वर्णन महाभारत में लगभग 7 स्थानों पर वर्णन आता है। इन उल्लेखों से एक बात तो साफ जाहिर हो जाता है कि न केवल भगवान श्रीकृष्ण, भीम , अर्जुन, चित्र रथ नामक गंधर्व, संजय, भीष्म पितामह, युधिष्ठिर बल्कि राजा मांधाता और इंद्र इन सबको चीन के बारे में जानकारी थी। इन उल्लेखों से ये भी साबित होता है कि चीन कभी ना कभी वृहद भारत का हिस्सा रहा था और इसकी सीमा केवल चीन ही नहीं, अपितु आज के पाकिस्तान, अफगानिस्तान, यवन ,ईरान , उज़्बेकिस्तान आदि स्थानों तक फैला हुआ था।

अजय अमिताभ सुमन

2 Comments · 233 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

जीवन अनुबंधन
जीवन अनुबंधन
Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan"
पेवन पहने बाप है, बेटा हुए नवाब।
पेवन पहने बाप है, बेटा हुए नवाब।
संजय निराला
कठपुतली
कठपुतली
Shyam Sundar Subramanian
संस्कारों का चोला जबरजस्ती पहना नहीं जा सकता है यह
संस्कारों का चोला जबरजस्ती पहना नहीं जा सकता है यह
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
दगा बाज़ आसूं
दगा बाज़ आसूं
Surya Barman
अहाना छंद बुंदेली
अहाना छंद बुंदेली
Subhash Singhai
चल बन्दे.....
चल बन्दे.....
Srishty Bansal
फागुन
फागुन
Gajanand Digoniya jigyasu
*रखिए जीवन में सदा, सबसे सद्व्यवहार (कुंडलिया)*
*रखिए जीवन में सदा, सबसे सद्व्यवहार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
दुरीयों के बावजूद...
दुरीयों के बावजूद...
सुरेश ठकरेले "हीरा तनुज"
गांधी वादी सोनम वांगचुक, और आज के परिवेश!
गांधी वादी सोनम वांगचुक, और आज के परिवेश!
Jaikrishan Uniyal
कामयाबी के पीछे छिपी पूरी ज़वानी है,
कामयाबी के पीछे छिपी पूरी ज़वानी है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सबकी अपनी जिन्दगी है
सबकी अपनी जिन्दगी है
Saraswati Bajpai
संसार एक जाल
संसार एक जाल
Mukesh Kumar Sonkar
कुम्भ स्नान -भोजपुरी श्रंखला - भाग - 1
कुम्भ स्नान -भोजपुरी श्रंखला - भाग - 1
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
एक उम्मीद थी तुम से,
एक उम्मीद थी तुम से,
लक्ष्मी सिंह
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता -189 से चयनित श्रेष्ठ दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता -189 से चयनित श्रेष्ठ दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
" नजर "
Dr. Kishan tandon kranti
वन में नाचे मोर सखी री वन में नाचे मोर।
वन में नाचे मोर सखी री वन में नाचे मोर।
अनुराग दीक्षित
जय श्री राम
जय श्री राम
Shekhar Deshmukh
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
लोग पूछते हैं कि हमको मोहब्बत में मिला क्या है,
लोग पूछते हैं कि हमको मोहब्बत में मिला क्या है,
Jyoti Roshni
तू क्यूँ उदास बैठा है |
तू क्यूँ उदास बैठा है |
Saurabh Kumar
एक पीर उठी थी मन में, फिर भी मैं चीख ना पाया ।
एक पीर उठी थी मन में, फिर भी मैं चीख ना पाया ।
आचार्य वृन्दान्त
एक उड़ती चिड़िया बोली
एक उड़ती चिड़िया बोली
दीपक बवेजा सरल
तरंगिणी की दास्ताँ
तरंगिणी की दास्ताँ
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
#क़तआ (मुक्तक)
#क़तआ (मुक्तक)
*प्रणय प्रभात*
खुद पर भरोसा ..
खुद पर भरोसा ..
Rati Raj
Sex is not love, going on a date is not love
Sex is not love, going on a date is not love
पूर्वार्थ
2953.*पूर्णिका*
2953.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...