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11 Feb 2024 · 1 min read

दगा बाज़ आसूं

आंसू भी कैसे होते है ना
जब आना होता है इन्हे
तब आते नही
और जब हम ज़रा सा भी मुस्कुराते है

तब बिन बुलाए आ जाते है
और जब हम इन्हें छुपाना चाहते है दुनिया से
तब ये भरी भीड़ में भी चले आते है
और जब हम चाहते है कोई इनकी आहट सुने

तब ये चुप चाप तकिए में समा जाते हैं
होती है कोई खुशी तब भी चले आते है
और गम में अकेले में ही बाहर आते है
कभी बात बार पर आंखों में आ जाते है

और कभी कभी तो दिल पर लगी बात पर भी नही आते
कभी कभी खुली आंख से बाहर आते हैं
तो कभी बंद आंखों से बह निकलते है
कभी बूंद बूंद करके बाहर आते है

तो कभी धार बनकर बाहर आते है
ये मेरे आंसू सच बड़े दगा बाज़ होते है ये आंसू
जब चाहो तब नही आते आंसू
और कभी बिन बुलाए चले आते हैं आंसू ।।

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