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4 Jul 2023 · 1 min read

*अंगूर (बाल कविता)*

अंगूर (बाल कविता)

मीठे रस के हैं अंगूर
गुच्छे लेकिन लटके दूर
सुंदर हैं यह मन ललचाते
बड़े शौक से इनको खाते
बलवर्धक अंगूर कहाते
इसीलिए हैं सबको भाते

रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

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