” चर्चा चाय की “
” चर्चा चाय की ”
देखें वहीं नुक्कड़ पर चर्चा चाय की
अख़बार संग चलाते सब जीभ भी
ये ही तो बढ़ाती है ढाबों की रौनक
आनंद देती है बहुत भोर वाली चाय,
छिपना सूरज का फैलती जो लालिमा
कलरव नन्हे पक्षियों का सुनाए संगीत
मूढ़ होता तरो ताज़ा फैलती खुशबू से
शमा महकाती है कुल्हड़ वाली चाय,
कोई पीता है चाय कांच के गिलास में
मीनू को तो चाय कुल्हड़ वाली भाए
कोई साथ मांगे मठरी कोई लेता फैन
याद आती है रेल वाली कस्तूरी चाय,
केसर, अदरक, मसाला, पान फ्लेवर
अलबर्ट हॉल से सटा है मसाला चौक
लब गुलाबी और जयपुर शहर गुलाबी
लालची जीभ मांगे गुलाब वाली चाय।