कृष्णा को कृष्णा ही जाने
सुर मुनि शारद ब्रह्मा ध्यावें,
शिव गनपत थाह न पावत हैं।
वहीं गोपियां प्रेम से छछियांभर,
माखन दे नाच नचावत हैं।
कृष्णा को कृष्णा ही जाने,
दूजे के बस की बात नहीं।
भक्तों को इतना देते हैं,
जितनी उसकी औकात नहीं।
सतीश सृजन, लखनऊ.