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10 Oct 2024 · 1 min read

पहले क्रम पर दौलत है,आखिर हो गई है रिश्ते और जिंदगी,

पहले क्रम पर दौलत है,आखिर हो गई है रिश्ते और जिंदगी,
सिक्कों की चमक में सब खो गए,
कहां ढूंढे अब हम वो अपने लोग, जिनसे थी कभी बंदगी।।

जिन हाथों ने थामा था,आज उनमें खोट क्यों है?
जो दिल कभी हमारे थे,आज उनकी धड़कन में रोट क्यों है?

अब सबकी नजरें बस जोड़-तोड़ पर,सच्चे रिश्तों की कीमत आधी,
पहले जो थी बातें दिल की,अब बस रह गई हैं खामोश यादें आधी।।

पहले क्रम पर दौलत है,आखिर हो गई है रिश्ते और जिंदगी,
मशहूर हैं लोग अपनी बातें कहने में,पर कौन सुनता है किसी की सच्ची बंदगी?”

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