न मैंने अबतक बुद्धत्व प्राप्त किया है
जो हम सोचेंगे वही हम होंगे, हमें अपने विचार भावना को देखना ह
मैंने अब रूठना छोड़ दिया क्योंकि मनाने वाला ही रुठ गया।
न जाने कौन रह गया भीगने से शहर में,
शीर्षक -तेरे जाने के बाद!
समय ही तो हमारा जीवन हैं।
रोज दस्तक होती हैं दरवाजे पर मेरे खुशियों की।
चंदा मामा सुनो मेरी बात 🙏
Science teacher's Umbrella
समय का सिक्का - हेड और टेल की कहानी है
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मेरी दोस्ती के लायक कोई यार नही
तुम आओ एक बार
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )