” इस दशहरे १२/१०/२०२४ पर विशेष “
धर्म, मर्यादा सिखाता, हृदय से स्वीकार हो,
राम हैं आदर्श, जीवन का यही बस सार हो।
वेद की, गूँजें ऋचाएं, ज्ञान का विस्तार हो,
“विश्व एक कुटुम्ब” बस यह भावना साकार हो।
हो परस्पर प्रेम, आशा जनित सहज विचार हो,
सत्य की हो जीत, मिथ्या हर कथन की हार हो।
कुप्रथा, कुप्रचार, कुत्सित भावना पे प्रहार हो,
अस्मतोँ से खेलते, दशमुख पे, भरसक वार हो।
इस दशहरे, हर बुराई का प्रबल प्रतिकार हो,
दम्भ दानव, द्वेष दावानल, दहन इस बार हो..!
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