Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 May 2024 · 2 min read

नारी है न्यारी

जब भी छाए दुखों के बादल,
डाल लिया तूने उन्हें आँखों में बना काजल ।

है नारी वो डोर, जिसका न कोई छोर ।
कर हर तट पार ,जोड़ती प्यार के तार में सारा संसार ।

मकान को घर बनाती,
सबके सपने नैनों में अपने बसाती।
बनकर माँ , हमराही , बहन – बेटी ,
हर रिश्ते का मान बढ़ाती ।

तू ही आसमान में उड़ती कल्पना,
कम्प्यूटर को टक्कर देती शकुंतला।
बन रंग हर एक का जीवन संवार डाला,
कभी गरजी सिंहनी सी,कभी मुँह पर लगाया ताला ।

है तू वो नदी जो लगा देती सबको पार,
है तेरे लिए अपनों के हाथ गले के हार ।
रहती तुझसे पतझड़ में भी बहार ,
लगे स्वर्ग सा तुझसे परिवार ।

बना देती तू पहाड़ सी मुसीबत को राई ,
है तू हर मैदान में लड़ती लक्ष्मी बाई ।
बन सीता तूने वनवास सहा ,
इसलिए ही तुझे त्याग की मूर्ति कहा ।

माँ बन सच की राह दिखाई,
शिवाजी को बचपन में तूने अनमोल सीख सिखाई।
तुझ में बसी है जीजा बाई,
महानता है तेरे रग- रग में समाई ।

भगवान का तू दूजा रूप कहलाती ,
मानव को तू दुनिया में लाती ।
अपनों के सुख में मुस्काती ,
दुख अपने कभी न दिखाती ।

भरा तुझमें असीम ज्ञान ,
ममता का तू सागर महान ।
देता जो तुझे सम्मान ,
देवता भी करते उसका मान ।

तेरी गोदी जीवन का सार ,
पा इसे मिटे भगवानों के भी भार ।
पाने को तेरा निःस्वार्थ प्यार ,
राम – कृष्ण बन कर आए अवतार ।

जीवन तूने अनगिनत सँवारे ,
राह न छोड़ी , ग़र मिले भी उनपर अंगारे ।
फूल कभी तूने पथ पर बिखरे ,
पड़ी ज़रूरत तो निकाली तलवारें ।

तू ही लक्ष्मी है तू दुर्गा ,
समझा तुझे जिसने भाग उसका जागा।
जोड़ता जो प्रभु से है तू वो धागा ,
है तेरा अपमान करता सिर्फ़ रावण सा कोई अभागा।
है तेरा अपमान करता सिर्फ़ रावण सा कोई अभागा।

इंदु नांदल विश्व रिकॉर्ड होल्डर
इंडोनेशिया
स्वरचित

Language: Hindi
1 Like · 69 Views
Books from Indu Nandal
View all

You may also like these posts

स्वाभिमान
स्वाभिमान
Shyam Sundar Subramanian
तो मैं उसी का
तो मैं उसी का
Anis Shah
सुना था कि मर जाती दुनिया महोबत मे पर मैं तो जिंदा था।
सुना था कि मर जाती दुनिया महोबत मे पर मैं तो जिंदा था।
Nitesh Chauhan
ज़िम्मेदारियाॅं अभी बहुत ही बची हैं,
ज़िम्मेदारियाॅं अभी बहुत ही बची हैं,
Ajit Kumar "Karn"
हे ब्रह्माचारिणी जग की शक्ति
हे ब्रह्माचारिणी जग की शक्ति
रुपेश कुमार
*एक मां की कलम से*
*एक मां की कलम से*
Dr. Priya Gupta
हंस भेस में आजकल,
हंस भेस में आजकल,
sushil sarna
बस यूँ ही
बस यूँ ही
sheema anmol
बात
बात
Shriyansh Gupta
तम्बाकू को अलविदा
तम्बाकू को अलविदा
surenderpal vaidya
क्या सीत्कार से पैदा हुए चीत्कार का नाम हिंदीग़ज़ल है?
क्या सीत्कार से पैदा हुए चीत्कार का नाम हिंदीग़ज़ल है?
कवि रमेशराज
खोकर अपनों को यह जाना।
खोकर अपनों को यह जाना।
लक्ष्मी सिंह
" सितम "
Dr. Kishan tandon kranti
क्या पता मैं शून्य न हो जाऊं
क्या पता मैं शून्य न हो जाऊं
The_dk_poetry
-संयुक्त परिवार अब कही रहा नही -
-संयुक्त परिवार अब कही रहा नही -
bharat gehlot
सुबह की चाय हम सभी पीते हैं
सुबह की चाय हम सभी पीते हैं
Neeraj Agarwal
जाने कब दुनियां के वासी चैन से रह पाएंगे।
जाने कब दुनियां के वासी चैन से रह पाएंगे।
सत्य कुमार प्रेमी
दंश
दंश
Sudhir srivastava
मेरा देश
मेरा देश
Santosh kumar Miri
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
इश्क का कारोबार
इश्क का कारोबार
dr rajmati Surana
घर घर ऐसे दीप जले
घर घर ऐसे दीप जले
gurudeenverma198
कुंडलिया
कुंडलिया
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
मैं खुश होना भूल गया
मैं खुश होना भूल गया
शेखर सिंह
4728.*पूर्णिका*
4728.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हास्यगीत - ओनु लुलुआ के
हास्यगीत - ओनु लुलुआ के
सिद्धार्थ गोरखपुरी
ख़ामोशी फिर चीख़ पड़ी थी
ख़ामोशी फिर चीख़ पड़ी थी
अरशद रसूल बदायूंनी
डर डर जीना बंद परिंदे..!
डर डर जीना बंद परिंदे..!
पंकज परिंदा
विषय-अर्ध भगीरथ।
विषय-अर्ध भगीरथ।
Priya princess panwar
बिन बोले सब बयान हो जाता है
बिन बोले सब बयान हो जाता है
रुचि शर्मा
Loading...