Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Aug 2020 · 1 min read

आज़ाद गज़ल

हाथों में तू अपने हुनर रखना
माहौल पे पैनी नज़र रखना ।

कब कौन दे जाए दगा यारों
हर लम्हा खुद को बाखबर रखना ।

कोई किसी से कम नहीं होता
मन में हमेशा सोंच कर रखना ।

माना कि वो है बेवफा तो क्या
होठों पे अपनी बस दुआ रखना ।

मुश्किल है सूखी होना इस जग में
खुद को अजय तू खुश सदा रखना ।
-अजय प्रसाद

2 Likes · 1 Comment · 202 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
महादान
महादान
Dr. Pradeep Kumar Sharma
ज़िन्दगी को समझते
ज़िन्दगी को समझते
Dr fauzia Naseem shad
राधा के दिल पर है केवल, कान्हा का अधिकार
राधा के दिल पर है केवल, कान्हा का अधिकार
Dr Archana Gupta
क्या बुरा है जिन्दगी में,चल तो रही हैं ।
क्या बुरा है जिन्दगी में,चल तो रही हैं ।
Ashwini sharma
दिल से
दिल से
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ये
ये "परवाह" शब्द वो संजीवनी बूटी है
शेखर सिंह
दिल का मासूम घरौंदा
दिल का मासूम घरौंदा
पूनम कुमारी (आगाज ए दिल)
दिल से दिल गर नहीं मिलाया होली में।
दिल से दिल गर नहीं मिलाया होली में।
सत्य कुमार प्रेमी
यशोधरा के प्रश्न गौतम बुद्ध से
यशोधरा के प्रश्न गौतम बुद्ध से
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
आप, मैं और एक कप चाय।
आप, मैं और एक कप चाय।
Urmil Suman(श्री)
सुलगती आग हूॅ॑ मैं बुझी हुई राख ना समझ
सुलगती आग हूॅ॑ मैं बुझी हुई राख ना समझ
VINOD CHAUHAN
“कवि की कविता”
“कवि की कविता”
DrLakshman Jha Parimal
இந்த உலகில்
இந்த உலகில்
Otteri Selvakumar
पुरानी खंडहरों के वो नए लिबास अब रात भर जगाते हैं,
पुरानी खंडहरों के वो नए लिबास अब रात भर जगाते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
" राग "
Dr. Kishan tandon kranti
कहानी उसके हाथ में है, वो..
कहानी उसके हाथ में है, वो..
Shweta Soni
स्कंदमाता
स्कंदमाता
मधुसूदन गौतम
एक न एक दिन मर जाना है यह सब को पता है
एक न एक दिन मर जाना है यह सब को पता है
Ranjeet kumar patre
आ अब लौट चलें.....!
आ अब लौट चलें.....!
VEDANTA PATEL
दुनिया में सब ही की तरह
दुनिया में सब ही की तरह
डी. के. निवातिया
आज पशु- पक्षी कीमती
आज पशु- पक्षी कीमती
Meera Thakur
"" *श्री गीता है एक महाकाव्य* ""
सुनीलानंद महंत
आग और धुआं
आग और धुआं
Ritu Asooja
कुंडलिया
कुंडलिया
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
3741.💐 *पूर्णिका* 💐
3741.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
प्रकृति का बलात्कार
प्रकृति का बलात्कार
Atul "Krishn"
किसी को टूट कर चाहना
किसी को टूट कर चाहना
Chitra Bisht
#लघुकथा
#लघुकथा
*प्रणय प्रभात*
हारों की राहों से मैं चलता जा रहा हूँ,
हारों की राहों से मैं चलता जा रहा हूँ,
पूर्वार्थ
माँ का आशीर्वाद पकयें
माँ का आशीर्वाद पकयें
Pratibha Pandey
Loading...