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6 Jan 2024 · 1 min read

*आई सदियों बाद है, राम-नाम की लूट (कुंडलिया)*

आई सदियों बाद है, राम-नाम की लूट (कुंडलिया)
_________________________
आई सदियों बाद है, राम-नाम की लूट
मन से प्रभु का कीजिए, सुमिरन आज अटूट
सुमिरन आज अटूट, अयोध्या हृदय बनाऍं
महानगर हर गॉंव, खुशी के दीप जलाऍं
कहते रवि कविराय, समय ने हरि धुन गाई
मंगल अपरंपार, घड़ी शुभ देखो आई
———————————–
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

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