Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Jul 2021 · 7 min read

एक प्यार ऐसा भी

आज रजनी बहुत खुश थी उसको ऐसा लगा मानो आकाश में कोई सबसे अलग चमकदार धूमकेतु उसे मिल गया हो, उसके घर देर से आने पर पर मां ने सवाल पूछा –
रजनी इतनी देर तक कहां थी ?
मां के इन प्रश्नों का रजनी ने शीघ्र उत्तर दे दिया –
मां आज ऑफिस मैं कार्य अधिक था इस वजह से घर आने में देर हो गई है ।
मां रजनी से – अगली बार ध्यान रखना अपने ऑफिस से घर जल्दी आया करो तुम्हें पता ही है दिन, प्रतिदिन कैसे, कैसे समाचार पढ़ने को मिलते हैं ।
रजनी अपनी मां से – ठीक है मैं अगली बार ध्यान रखूंगी, मां आप मुझे शीघ्र भोजन दे दो मुझे बहुत भूख लगी है और कल सुबह मुझे ऑफिस भी जल्दी जाना है ।
रजनी की मां ने रजनी के लिए शीघ्र भोजन परोसा और घर का कुछ कार्य जो अधूरा रह गया था उसे पूरा करने में व्यस्त हो गई ।
रजनी ने शीघ्र ही भोजन किया और एक दो बार अपने मोबाइल फोन में आए हुए संदेशों को देखा ।
भोजन करने के उपरांत रजनी ने राकेश को संदेश भेजा हेलो राकेश मैं घर पहुंच गई हूं तुम चिंता मत करना गुड नाईट ।
उधर से राकेश का जवाब आया – ठीक है रजनी love you
आज भी रजनी को वह दिन भली भांति याद था जब आज से ठीक एकवर्ष पूर्व वह राकेश से मिली थी ।
शुरुआत में रजनी को राकेश से बात करने में हिचकिचाहट सी महसूस होती थी परंतु अपने सहली के द्वारा रजनी ने अपने दिल की बात आखिरकार राकेश को बता दी,
यूँ तो राकेश भी रजनी को मन ही मन पसंद करता था, परन्तु कुछ कह पाता नहीं था, रजनी की सहेलियों व एक ही आफिस में कार्य करने से अपने दिल की बात रजनी तक कहने में राकेश कोई अधिक वक्त नहीं लगा ।
दोनों के बीच मुलाकातों का सिलसिला जारी रहा व एक दूसरे को ना जाने कब पसन्द करने लगे उन्हें खुद भी इस बात का पता नहीं चला, जहाँ पहले दोनों के दरमियां दोस्ती थी और बात हेल्लो, हाय तक सीमित थी, वह यह सब यकायक प्रेम में तब्दील हो गई, दोनो के बीच मुलाकातें हूई , व साथ जीने, मरने के वादे एक दूसरे को दे, दिए ।
यह सब बातें सोचते, सोचते ना जाने कब रजनी की आँख लग गई, और जब सुबह, सुबह अपने बिस्तर से उठी तो घड़ी के अलार्म की घंटी को सुनते पाया, और बाहर के कमरें से माँ की आवाज आई,
रजनी आज ऑफिस नही जाना क्या ?
रजनी – नहीं माँ जाना है
माँ- अच्छा फटाफट उठो, फ्रेस हो जाओ नाश्ता तैयार है
रजनी – मुस्कराते हुए बोली, हाँ जी मेरी प्यारी माँ ।
रजनी ऑफिस को जाते, जाते अपनी माँ से कहने लगी माँ आज मैं आपको एक सरप्राइज देने वाली हूँ ।

रजनी आफिस पहूँचते ही राकेश से मिली, व ऑफिस का काम किया व आफिस के लंच समय में राकेश से बोली, राकेश मुझे आज तुम्हें अपनी माँ से मिलवाना है, तुम शाम को मेरे साथ मेरे घर चलना, तुम्हें माँ देखेगी तो बहुत खुश होगी, और मैं अपनी माँ से हमारी शादी की बात कर लेंगे, व बाद में मेरी माँ तुम्हारे घर वालों से मुलाकात कर लेगी । तुम तो जानते ही हो मेरी माँ ने मुझे मेरे पापा के गुजर जाने के बाद किन परिस्थितियों में मुझे पाला है, तुम शाम को तैयार रहना, ठीक है ।

रजनी की ये बातें सुनकर राकेश थोड़ा भौचक्का रह गया और गोल मटोल बातें करना लगा, नहीं रजनी अभी नहीं यह समय अभी शादी का नहीं है, मेरे घर वाले भी हमारी शादी को अभी मंजूरी नहीं देंगे, अभी तो मैंने अपने भविष्य के बारे मे सोचा नहीं है, मैं नहीं चाहता अभी से मेरे ऊपर कोई जिम्मेदारी आए, मुझे अभी शादी नहीं करनी, हमें अभी तीन, चार, साल और रुकना होगा उसके बाद हम शादी कर लेंगे, हम दोनों की इतनी कम सैलरी में कैसे गुजारा होगा । और तो और तुम्हारे माँ की जिम्मेदारी भी तो तुम्हारे ऊपर है, हम लोगों का इतनी कम सैलरी में गुजारा नहीं होगा, वैसे भी शादी के बाद तुम अपनी मां को कहां छोड़ने वाली हो, वो तो आखिरकार रहेगी तुम्हारे साथ ही ना, फिर छोटे से कमरों में मुझे uncomfortable feel होता है ।

राकेश की ये बातें और यह सोच जानकर रजनी को गुस्सा आया और वह एक पल भी वहाँ नहीं रुकी ।
रजनी जैसे ही अपने घर पहुंची, माँ ने पूछा रजनी बेटा क्या हूआ आज तुम जल्दी कैसे आ गई, ऑफिस में कोई बात हो गई क्या, रजनी फुट, फुट कर रोने लगी व अपनी व राकेश के बीच हूई सारी बातें अपनी माँ को बता दी, माँ ने रजनी को समझाया और कहा बेटा तू चिंता ना कर मैं राकेश से बात करूंगी, तू फ्रेश हो जा, और खाना खा ले, और अपना गुस्सा शांत कर, माँ की बात सुनकर रजनी चुपचाप अंदर चली गई ।
रात को खाना, खाने के बाद रजनी ने राकेश को फ़ोन लगाया और सोचा शायद राकेश अब समझ जाएगा, परन्तु कई बार फ़ोन लगाने के बाद भी राकेश का फ़ोन स्विच ऑफ ही बता रहा था, रजनी को सारी रात यही चिंता सताने लगी कहीं राकेश ने अपने आप को कुछ कर ना लिया हो ।
सुबह होते ही वह आनन, फानन, में फटा, फट राकेश के घर पहुंची व राकेश के बारे में उसके माता, पिता से पूछने पर पता चला कि राकेश अच्छी जॉब से रिलेटीड कोर्स करने के लिए विदेश चला गया, जिस से वह दोबारा यहाँ आकर एक अच्छा खासा सैलरी पैकेज ले सके ।
आज रजनी के जीवन का सबसे कठिन वक्त था, उसको यह समझ नहीं आ रहा था अब वह क्या करे।
रजनी ने आज यह प्रण लिया कि वह यहीं रह कर कुछ बन कर दिखाएगी, और कहते हैं, जो भी ब्यक्ति अपने हौसलों को उड़ान देता है व दृढ़ विश्वास करके जीवन में कुछ बनने की ठान लेता है तो स्वयं तकदीर भी उसको निराश नहीं कर सकती, चाहे उसके रास्तों में कितने भी काँटे आए वह एक ना एक दिन इन सब परिस्थितियों का सामना करके अपने जीवन में उच्च शिखरों को प्राप्त करता है ।
रजनी अपनी मेहनत फलस्वरूप आज अपने बीते हुए समय को पीछे छोड़ कर आज एक मल्टी नेशनल कम्पनी की बागडोर संभाली हूई हूई थी, उसके पास आज वह सब कुछ था, जिसे पाने की लालसा लिए हुए राकेश उसे छोड़कर विदेश चला गया था ।
राकेश को विदेश गए हूए आज तीन वर्ष पूरे हो गए थे, इन बीते हुए वर्षों में राकेश ने एक बार भी रजनी को फ़ोन करने की कोशिश नहीं कि वह तो पैसे के मोह में रजनी जैसी सुशील, पड़ी लिखी, को छोड़ कर जा चुका था, एक बार भी राकेश ने यह सब नहीं सोचा जो भी वादे उसने रजनी सँग किए उन वादों का क्या, क्या वह सब वादे उसके हवा, हवाई थे ।
रजनी आज भी इन बातों को जब भी याद करती उसके आँखों में पानी भर आता ।
तभी रजनी की माँ की आवाज आई बेटा रजनी आफिस जाओ, तुम्हें, तुम्हारे कंपनी का ड्राइवर लेने आया है, रजनी एक बड़े से बंगले से बाहर आई, और ड्राइवर ने रजनी को good mornig wish किया और ऑफिस की ओर एक सफेद लंबी गाड़ी चलाते हुए चल दिया ।
आफिस पहूँचते ही वहाँ के समस्त स्टाफ़ ने रजनी को मॉर्निंग विश किया, व रजनी अपने केबिन में जाकर बैठ गयी ।
रजनी ने अपने P.A( personal assistant ) को बुलाया और कहा जो job का विज्ञापन हमनें समाचार पत्र में दिया था उस जॉब के लिए कोई उपयुक्त कैंडिडेट मिला या नहीं ।
P.A का जवाब – yes maim office के बाहर कुछ कैंडिडेट आए हुए हैं आप उनका इंटरव्यू ले लीजिए ।
रजनी -ok sure, उन सबको एक,एक करके बुलाओ
P. A – yes maim
रजनी ने बारी, बारी सबका इंटरव्यू लिया, व कूछ कैंडिडेट को सेलेक्ट किया ।

दोपहर के लंच का समय हो रहा था, रजनी ने अपने P. A से पूछा क्या कोई और भी है इंटरव्यू देने के लिए ?
P. A -yes maim one candidate more
Rajni – ok उन्हें भेजो
P. A- Ok maim
P. A office के बाहर जाते हुए mr राकेश आपको रजनी maim इंटरव्यू के लिए बुला रही हैं आप जाइये ।
Interview candidate person – ok sir I will go,
Interview candidate आफिस के दरवाजे को नोक करके पूछता है, क्या में अंदर आ सकता हूँ maim ?
रजनी – yes sure,
जैसे ही interview देने वाला ब्यक्ति राकेश, सामने कुर्सी पर बैठी हुई महिला (रजनी) को देखता है तो, मानों उसको ऐसा लगता है, जैसे उसने कोई जागती आँखों से सपना देख लिया हो, और बिना कुछ सोचे समझे कहता है – रजनी तुम यहाँ, यानी तुमने इस कंपनी की बागड़ोर संभाली हूई है, तुम नहीं जानती मेरा एक ही सपना था कि इंडिया की इस सर्वश्रेष्ठ कंपनी में जॉब करूँ, अब तो तुम मुझे बिना इंटरव्यू के भी जॉब दे दोगी,
रजनी सोचती है – जो मेरे समय में मेरा नहीं हूआ, वह मेरी इस कंपनी का क्या होगा ।
रजनी राकेश को जवाब देती है, और कहती है –
WHO ARE YOU MR. ?

465 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
एक श्वान की व्यथा
एक श्वान की व्यथा
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
एक सच ......
एक सच ......
sushil sarna
आतंक, आत्मा और बलिदान
आतंक, आत्मा और बलिदान
Suryakant Dwivedi
23/01.छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
23/01.छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
गीत गाने आयेंगे
गीत गाने आयेंगे
Er. Sanjay Shrivastava
दिहाड़ी मजदूर
दिहाड़ी मजदूर
Vishnu Prasad 'panchotiya'
आप सभी को महाशिवरात्रि की बहुत-बहुत हार्दिक बधाई..
आप सभी को महाशिवरात्रि की बहुत-बहुत हार्दिक बधाई..
आर.एस. 'प्रीतम'
सृजन
सृजन
Prakash Chandra
दो शे'र
दो शे'र
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
प्रहार-2
प्रहार-2
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
■ सामयिक आलेख-
■ सामयिक आलेख-
*Author प्रणय प्रभात*
अगर न बने नये रिश्ते ,
अगर न बने नये रिश्ते ,
शेखर सिंह
दिल की जमीं से पलकों तक, गम ना यूँ ही आया होगा।
दिल की जमीं से पलकों तक, गम ना यूँ ही आया होगा।
डॉ.सीमा अग्रवाल
शिव ही बनाते हैं मधुमय जीवन
शिव ही बनाते हैं मधुमय जीवन
कवि रमेशराज
9) खबर है इनकार तेरा
9) खबर है इनकार तेरा
पूनम झा 'प्रथमा'
नसीब
नसीब
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मिट न सके, अल्फ़ाज़,
मिट न सके, अल्फ़ाज़,
Mahender Singh
गाल बजाना ठीक नही है
गाल बजाना ठीक नही है
Vijay kumar Pandey
क्या ?
क्या ?
Dinesh Kumar Gangwar
याद रहेगा यह दौर मुझको
याद रहेगा यह दौर मुझको
Ranjeet kumar patre
बच्चों को बच्चा रहने दो
बच्चों को बच्चा रहने दो
Manu Vashistha
कविता
कविता
Shiva Awasthi
आप और हम
आप और हम
Neeraj Agarwal
वक़्त
वक़्त
विजय कुमार अग्रवाल
अभिव्यक्ति के प्रकार - भाग 03 Desert Fellow Rakesh Yadav
अभिव्यक्ति के प्रकार - भाग 03 Desert Fellow Rakesh Yadav
Desert fellow Rakesh
समर्पित बनें, शरणार्थी नहीं।
समर्पित बनें, शरणार्थी नहीं।
Sanjay ' शून्य'
हिन्दू और तुर्क दोनों को, सीधे शब्दों में चेताया
हिन्दू और तुर्क दोनों को, सीधे शब्दों में चेताया
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
बिना शर्त खुशी
बिना शर्त खुशी
Rohit yadav
चप्पलें
चप्पलें
Kanchan Khanna
कोई हंस रहा है कोई रो रहा है 【निर्गुण भजन】
कोई हंस रहा है कोई रो रहा है 【निर्गुण भजन】
Khaimsingh Saini
Loading...