Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Sep 2023 · 1 min read

****** घूमते घुमंतू गाड़ी लुहार ******

****** घूमते घुमंतू गाड़ी लुहार ******
*******************************

ना कोई ठौर ठिकाना ना ही घर -द्वार हैँ,
खुली हवा में घूमते घुमंतू गाड़ी लुहार हैँ।

हररोज बंजारे लोग बदलते रहते हैँ डेरा,
जोगियों सा उनका होता दर बदर फेरा,
खानाबदोशी जन जीवन सुंदर संसार है।
खुली हवा में घूमते घुमंतू गाड़ी लुहारहै।

सर्प सी बल खाती बंजारन चली आती,
नाक में नथनी कान में बाली बड़ी भाती,
खुदा ने बख्शा गोरा वर्ण रूप उपहार है।
खुली हवा में घूमते घुमंतू गाड़ी लुहार है।

घाघरा कुर्ती पहनकर बनाती औजार हैँ,
मर्दों सी बहादुरी ले हाथों में हथियार हैँ,
छैल छबीली छोरियाँ तीखे नैन कटार है।
खुली हवा में घूमते घुमंतू गाड़ी लुहार है।

लंबी सी मूँछे पहनते धोती कुर्ता हार है,
आन-बान से हैं सहते पगड़ी का भार है,
छैल छबीले छोरे कद काठी है अपार हैँ।
खुली हवा में घूमते घुमंतू गाड़ी लुहार हैँ।

मनसीरत बजती घंटियाँ बैल गलहार में,
गाड़ी लुहारे आ गए नदी के इस पार में,
ले लो जो लेना चले जाएंगे उस पार हैँ।
खुली हवा में घूमते घुमंतू गाड़ी लुहार हैँ।

ना कोई ठौर ठिकाना ना ही घर द्वार है।
खुली हवा में घूमते घुमंतू गाड़ी लुहार है।
*******************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

163 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
■ वक़्त का हर सबक़ एक सौगात।👍
■ वक़्त का हर सबक़ एक सौगात।👍
*Author प्रणय प्रभात*
कल चमन था
कल चमन था
Neelam Sharma
रिश्तो से जितना उलझोगे
रिश्तो से जितना उलझोगे
Harminder Kaur
शैक्षिक विकास
शैक्षिक विकास
Dr. Pradeep Kumar Sharma
स्त्री एक कविता है
स्त्री एक कविता है
SATPAL CHAUHAN
आसमाँ  इतना भी दूर नहीं -
आसमाँ इतना भी दूर नहीं -
Atul "Krishn"
*हमारा संविधान*
*हमारा संविधान*
Dushyant Kumar
2440.पूर्णिका
2440.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
यहाँ सब काम हो जाते सही तदबीर जानो तो
यहाँ सब काम हो जाते सही तदबीर जानो तो
आर.एस. 'प्रीतम'
भगवान सर्वव्यापी हैं ।
भगवान सर्वव्यापी हैं ।
ओनिका सेतिया 'अनु '
*सम्मति*
*सम्मति*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
//  जनक छन्द  //
// जनक छन्द //
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
मन जो कि सूक्ष्म है। वह आसक्ति, द्वेष, इच्छा एवं काम-क्रोध ज
मन जो कि सूक्ष्म है। वह आसक्ति, द्वेष, इच्छा एवं काम-क्रोध ज
पूर्वार्थ
व्यक्ति को ह्रदय का अच्छा होना जरूरी है
व्यक्ति को ह्रदय का अच्छा होना जरूरी है
शेखर सिंह
अपने किरदार में
अपने किरदार में
Dr fauzia Naseem shad
नारी
नारी
Mamta Rani
पहला प्यार - अधूरा खाब
पहला प्यार - अधूरा खाब
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
"एक बड़ा सवाल"
Dr. Kishan tandon kranti
*होली के रंग ,हाथी दादा के संग*
*होली के रंग ,हाथी दादा के संग*
Ravi Prakash
मोबाइल
मोबाइल
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
मोहब्बत तो आज भी
मोहब्बत तो आज भी
हिमांशु Kulshrestha
उम्मीद की आँखों से अगर देख रहे हो,
उम्मीद की आँखों से अगर देख रहे हो,
Shweta Soni
'एक कप चाय' की कीमत
'एक कप चाय' की कीमत
Karishma Shah
मैं एक महल हूं।
मैं एक महल हूं।
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
आज हम याद करते
आज हम याद करते
अनिल अहिरवार
💐उनकी नज़र से दोस्ती कर ली💐
💐उनकी नज़र से दोस्ती कर ली💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
उदास देख कर मुझको उदास रहने लगे।
उदास देख कर मुझको उदास रहने लगे।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
बुलन्द होंसला रखने वाले लोग, कभी डरा नहीं करते
बुलन्द होंसला रखने वाले लोग, कभी डरा नहीं करते
The_dk_poetry
हॅंसी
हॅंसी
Paras Nath Jha
लोगो को उनको बाते ज्यादा अच्छी लगती है जो लोग उनके मन और रुच
लोगो को उनको बाते ज्यादा अच्छी लगती है जो लोग उनके मन और रुच
Rj Anand Prajapati
Loading...